स्त्री हूं मैं
सृष्टि का आधार हूं मैं
ईश्वर की अनुपम कृति
भगवती का अवतार हूं मैं
जब जब राक्षसीप्रवृत्तिया बढी
धरा पर परेशानियां पड़ी
तब तब दुर्गा का रूप धरे
चंडी का अवतार हूं मैं
मां की वात्सल्य ममता
बहन का प्यार हूं मैं
स्त्री हूं मैं सृष्टि का आधार हूं मैं
बेटी बनकर घर की दुलारी हूं मैं
पापा की परी भाई की प्यारी हूं मैं
घर में रौनक मुझसे
वन में पति का संग निभाती सीता हूं मैं
रण में लड़ती।लक्ष्मीबाई हूं मै
स्त्री हूं मैं सृष्टि का आधार हूं मैं
धन की देवी लक्ष्मी
रिद्धि सिद्धि का अवतार हूं मैं
सरस्वती बनकर वीणा बजाती
सृष्टि का मधुर संगीत हूं मैं
सृष्टि का आधार हूं मैं
(©ज्योति)