लहरों से टकराकर नौका
हिम्मत कभी छोडती नही
जूझती रहती है वह हरदम
तभी तो मंजिल अपनी खोती नहीं.
एक छोटा सा दीया
कालिमा पीकर जलता है रोशनी दूसरों को देकर
उनकी जिंदगी में उजाला करता है एक छोटा सा फूल
पूरे उपवन को महकाता है
तोडने वालों को भी खुशबू देकर
उन्हे अपना बनाता है
काश हम भी वैसे ही बन जाते
दूसरों के दर्द लेकर
उन्हें खुशियां लुटा पाते
सारी दुनिया में प्रेम बांटकर
उसे स्वर्ग बनाते ।
(©ज्योति)