बात 1982 की है जब हम लोग अकबरपुर की रेलवे कालोनी मे रहा करते थे और पड़ोस में रहने वाली पंजाबी गुरमीत भाभी जी ने अँजू दी से वादा और प्रोत्साहित किया था कि जब वह हाईस्कूल में प्रथम आयेंगी तो गुलाब जामुन खिलाएंगी ...अँजू दी प्रथम तो आ गयी लेकिन उस समय भाभी जी भैया के साथ सतना रहने चली गयी ...तब से अब तक अँजू दी ने अनगिनत गुलाब जामुन खाए और दूसरों को खिलाए होंगे ...लेकिन उस एक गुलाब जामुन न मिल पाने की कसक/टीस उन्हे आज तक सालती/ कचोटती रहती है।😍
लेकिन उस एक गुलाब जामुन की मीठी याद बहुत से गुलाब जामुन के मीठेपन से ज्यादा है।❤️
😞😥😍 वैसे दुनिया गोल है ...तो उम्मीद भी अभी तक कायम है ।😄