अतीत के गलियारों से गुजर कर जीवन की हसीन वादियों के सफर की कुछ स्वर्णिम अनमोल स्मृतियाँ .. हर वयक्ति को अपनी सुनहरी यादें एक धरोहर एक खजाने की तरह हमेशा सहेज समेट कर रखना चाहिये।
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बात 1982 की है जब हम लोग अकबरपुर की रेलवे कालोनी मे रहा करते थे और पड़ोस में रहने वाली पंजाबी गुरमीत भाभी जी ने अँजू दी से वादा और प्रोत्साहित किया था कि जब वह हाईस्कूल में प्रथम आयेंगी तो गुलाब
बात बहुत वर्षों पुरानी है... मेरे घर छोटे कजीपुर,गोरखपुर के किसी शादी की ..हम लोग के अशोक मामाजी की 4-5 साल की छोटी बेटी वीनू रात में छत पर लाइटिंग के लिये लगे हुए झालरो के बल्ब से खेल रही थी तभी अश्व