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वो 5 साल की बच्ची का बाल सुलभ दुस्साहस

17 August 2024

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बात बहुत वर्षों पुरानी है... मेरे घर छोटे कजीपुर,गोरखपुर के किसी शादी की ..हम लोग के अशोक मामाजी की 4-5 साल की छोटी बेटी वीनू रात में छत पर लाइटिंग के लिये लगे हुए झालरो के बल्ब से खेल रही थी तभी अश्वनि चाचा जी की नजर उस पर पड़ी तो उन्होने कहा " अरे इ केकर लडकी है अब्बे करंट लग जाई " इस पर उस ने बाल सुलभ लेकिन  ठेठ तोतली भाषा में बोला " ए हम से ऐंठ के न बोला ...अब बे मालब तो इहें खड़े खड़े ... मूत मलबा।" चाचा जी तो एकबारगी  तो उसके इस आकस्मिक जवाब और दुस्साहस से अवाक और हतप्रभ ही हो गये फिर अनायास उनके चेहरे पर भी एक मुस्कुराहट आ गयी और उसे पकड़ कर वहाँ से हटाया। 

इसी वाकये को बहुत वर्षों के बाद हमारे बड़े भाईसाहब  पप्पू भैया के यहाँ हुए  गृह प्रवेश में जब सजी धजी सुन्दर वीनू भी अपने बच्चों के साथ आयी थी और मुझ से मिलने पर पूछा " भैया मुझे पहचान रहे हैं !!!" तो मैने कहा तुम्हे कैसे भूल सकता हूँ !! और सभी  के बीच उसी वर्षों पुरानी  घटना और कारिस्तानी की याद दिलाते हुए उसका परिचय कराया  तो वह भी झेंप के हँसे बिना रह ना सकी और शिकायत भरे अँदाज में कहा "क्या भैया !!इतने सालों के बाद मिले भी तो बस यही मिला था मेरा परिचय कराने को !!! और सभी लोग खिलखिला के हँस पड़े।😀😂

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Deepak Srivastava's Diary
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अतीत के गलियारों से गुजर कर जीवन की हसीन वादियों के सफर की कुछ स्वर्णिम अनमोल स्मृतियाँ .. हर वयक्ति को अपनी सुनहरी यादें एक धरोहर एक खजाने की तरह हमेशा सहेज समेट कर रखना चाहिये।