ये सभी पंक्तियां मेरे जीवन और मेरे आस पास के वातावरण से संबंधित हैं एक बच्चा जो बचपन से 8th तक कभी मन से नही पढ़ा और जब उसके ऊपर जिम्मेदारियों का बोझ आता हैं तो वह कैसे उस बोझ को हैंडल करता हैं और इनकम करने के साथ साथ कैसे 10 घंटे पढ़ता हैं और क्या अनुभव लेता हैं आज आपको मेरी कहानी
I will Clear The Exam में जानने को मिलेगा यदि पसंद आए तो मेरी इस पुस्तक के लिए 2 लाइन जरूर कहिएगा
धन्यवाद
आपका मित्र
अजय कुमार KD
जब आपका मन करें की पढ़ाई नही करनी चाहिए इससे कुछ नही होगा तब एक बार अपनी बहन और बुजुर्ग मां बाप को देखना और सोचना क्या बिना आपके पढ़े सपने पूरे हो पाएंगे और फिर कसम खाना
कसम खा ले की पाना हैं
तुझे करके दिखाना हैं
ये बंधन तोड़कर तुझको
भंवर के पार जाना हैं
मैं भी सोचता हूं की चाहर दिवारी में बंद होकर भी लोगो को इतना खुश नजर कैसे आता हू लेकिन वे क्या जाने की दिन में 10 घंटे पढ़ने के बाद बिना एक कमरे से बाहर निकले मैं कैसे खुश रहता हूं तब मुझे ये लाइनें याद आती हैं
संसार देखता है चेहरे की मुस्कुराहट
मेरे मन के झंगोले में सहमा सा मैं बैठा हूं
सब सोचते हैं खुश हूं दरबार लगा कर मैं
दीवार जानती है कि कितना अकेला हूं
जब लोग आकर कहते हैं न की इतनी सालो से पढ़ रहा हैं लेकिन एग्जाम नही निकला और कहते हैं की छोड़ दे पढ़ाई इससे कुछ नही होगा कौन सा कलेक्टर बन जायेगा तब मेरे मन में भी शंका पैदा होती हैं की क्या चुन लिया और फिर भी दृढ़ निश्चय होकर मेरा मन कहता हैं
चुना हैं रास्ता ऐसा
कैसे निभाऊंगा
या तो डूब जाऊंगा
या जग जीत जाऊंगा
जब बहुत परेशान हो जाता हूं बिल्कुल टूट जाता हूं और पढ़ने का मन नहीं करता देखता हूं की साथ वाले लड़के एग्जाम निकाल कर कुछ बन गए हैं तब उनसे सीखता हूं की कमी मुझमें ही हैं और मेहनत करनी पड़ेगी फिर मन में आता हैं
हर ओर अंधेरा हैं
मैं आस में बैठा हूं
दीपक बनूंगा एक दिन
इस क्यास में बैठा हूं
सब उड़ गए पक्षी
घर भार ढूंढने
आयेगा मेरा भी दिन
इस आस में बैठा हूं
एक बार मेरे फूफा जी ही कहने लगे की यार कब तक ऐसे ही पेपर देता रहेगा कब आयेगा रिजल्ट कब बनेगा अधिकारी तब मै सोचता हूं की सच में मुझसे ज्यादा तो मेरे परिवार वालो को मेरी चिंता हैं और फिर मेरे मन में ये पंक्तियां गुनगुनाती हैं
सफर में तू अकेला न
सफर में साथ तेरे हैं
तुझे पूरे ही करने हैं
जो अपनो के सवेरे हैं
कई बैठे हैं दुनिया में
तेरे खातिर अरे इंसा
तू पढ़ता जा तू पढ़ता जा
अभी सपने अधूरे हैं
जब भी मेरी कोई परीक्षा आती हैं तब तब मुझे नए नए मिशन चलाने होते हैं जिससे मैं मोटिवेट रहूं और उन मिशन को लेकर एक उत्साह रहता हैं की अबकी बार 10th पार इस तरह मिशन से मन में उत्साह बना रहता हैं और हर एग्जाम उत्साह के साथ निकल ही जाता हैं और यदि एग्जाम में नंबर कम आए तो सोचता हूं कमी तो अपनी ही हैं कुछ तो पढ़ने को रह गया था और फिर अपनी कमजोरी को मिटाने के लिए फिर पढ़ने लगता हू और मन से आवाजे उठती हैं
जो अबकी रह गया मुझसे
वो पूरा कर ही जाऊंगा
परीक्षा भी कहेगी ये
की मैं क्या क्या दिखाऊंगा
मेरे मन के झंगाेले में
अभी भी रिक्त हैं कमरा
अबकी तू देखना सक्सेस
तुझे मैं जीत जाऊंगा
जमाने में हजारों हैं
मिटाने को तेरी हस्ती
तुझे सब भूलकर भाई
सफल होकर दिखाना हैं