मै कुछ ऐसा सोच बैठी ,
जमाना बदल चुका है ,समय खूब आगे बढ़ गया है । सोच भी शायद बदल गई है ।
अब मैं समझदार हो गई हूँ, किस से क्या वार्तालाप करना है इतनी समझ रखती हूँ। अरे अब तो शायद अगर लड़कों से दोस्ती हो , तो भी कोई एतराज नहीं होगा । आखिर वो भी तो इंसान ही है ।
देर रात तक अगर, दूरभाष मे बात हो रही हो , तो कोई शक्की सवाल नही पूछेगा। आखिरकार अपने माँ बाप के सामने पली बड़ी हूँ, थोड़ा-बहुत तो विश्वास करो ।
माना , जमाना बदल गया है , बुराईयां बड रही है , अपनो पर भी विश्वास करना कठिन हो रहा है ।
पर सभी लोग इतने भी बुरे नहीं हैं जितना हम सोचते हैं।
अगर कोई इस दुनिया में विश्वास ही नहीं करेगा तो फिर यह दुनिया कैसे चलेगी?
बड़े हो गए हैं समझदार हैं अब। अपनी दोस्त को परख सकते हैं कौन सही है कौन गलत है। अपनी दुनिया को खूबसूरत बना सकते हैं अब हम खुद।
माना कि इतने भी बड़े नहीं हुए हैं कि मां-बाप की इजाजत के बिना ही कुछ भी कर बैठे पर कुछ तो कर ही सकते हैं। इसलिए सोचा कि कम से कम मुझे मेरा दोस्त अपनी पसंद का हो जिससे मैं रोज बातें करो अपनी खुशियां बांटो उसकी कुछ सुनो अपने कुछ बहुत सारी सुनाओ और दुनिया बहुत हसीन है ऐसे दोस्त बहुत कम मिलते हैं और जब मैंने ढूंढ लिया है तो किसी को क्या एतराज हो थोड़ा तो विश्वास करो ना मेरे विश्वास पर उसकी दोस्ती के विश्वास पर ।
सब इतने भी बुरे नहीं होते जितना हम सोचते हैं और दुनिया दिखाती है। लड़कों से दोस्ती कोई बुरी बात नहीं है। दुनिया बदल रही है थोड़ा सोच को बदलो अब।
मैं भी ना कुछ ऐसा ही सोच बैठी हूं।
लड़कों से दोस्ती अब आसानी से कर पाएंगे खुलकर जी पाएंगे और खुल के बात कर पाएंगे ना किसी की रोक टोक कुछ नहीं बस आजादी से अपनी जिंदगी जी पाएंगे।
तो क्या करें समाज आज भी नहीं बदला है और उनकी सोच आज भी नहीं बदली है दुनिया बदल गई है हम 21वीं सदी में आ गए हैं चांद पर जा रहे हैं?
दुनिया मंगल ग्रह पर बसने का सोच रहे हैं और आज भी हम लड़कों से दोस्ती करने के लिए इतना हिचकिचा रहे हैं कि जैसे कि वह कोई और ही हो इंसान नहीं।
अब आप ही देख लो मैं भी कुछ भी सोच बैठी थी कि दोस्ती आसान हो जाएगी , कोई एतराज नहीं होगा ।
पर इस दोस्ती पर भी आज भी रुकावट है इतने सवाल है सबकी शक्की नजरें हैं और क्या क्या?
क्या लड़कों से दोस्ती करना गलत है उनसे बातें करना गलत है?
कब हमें एक खुली सोच मिलेगी अपने ही परिवार में हमें आजादी मिलेगी?