1 मई
रविवार
समय 11:35 (रात)
मेरी प्यारी सहेली,
आज का दिन मजदूर दिवस के रूप में इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में लिख दिया गया है। मजदूर जो तन, मन से मेहनत करते हैं और उनकी मेहनत की एवज में शायद उन्हें उतना नहीं मिलता, जितना उन्हें मिलना चाहिए।
सरकार की तरफ से कितने ही नियम कानून बन चुके हैं लेकिन होता वही ढाक के तीन पात है। मजदूर बेबसी में सब नियमों को ताक पर रखकर मेहनत करने को मजबूर हो जाता है शायद इतना जितना की उसका शरीर भी उसका साथ नहीं देता।
मजदूर दिवस के नाम से बोल्शेविक क्रांति याद ना आए, ऐसा हो ही नहीं सकता। जहां आज बेरोजगारी चरम पर है वहां हर कोई कुछ ना कुछ करने को तत्पर दिखाई देता है। मजदूरों की हालत और भी बदतर होती जा रही है।
वही साथ में बाल मजदूरी भी अक्सर देखने को मिल जाती है, यदा-कदा नहीं अधिकांशतः। चाहे वह होटल हो चाहे कारखाने गुपचुप तरीके से बाल मजदूरी देखने को मिल ही जाती है।
वह भी क्यों ना हो मालिकों को भी पता है बाल मजदूरी में उन्हें मजदूरी कम ही देनी पड़ेगी और काम उतना ही करवा लिया जाएगा तो फिर भला किसे बुरा लगेगा।
वही छोटे-छोटे बच्चे गरीबी के कारण, परिवार का पेट भरने को मजदूरी करने के लिए तत्पर हो जाते हैं। पढ़ाई लिखाई की उम्र में मेहनत मजदूरी करते हैं।
जिस समय बच्चों को खेलना होता है उस समय सड़क पर मजदूरी करते हुए देखे जाते हैं, पेन पेंसिल पकड़ने वाले हाथ कुदाल फावड़ा लिए और कहीं कहीं झूठे प्लेट साफ करते हुए दिखाई देते हैं।
इसके लिए शायद सभी लोगों को आगे आना चाहिए अकेले सरकार क्या कर सकेगी।
हंसी के ठहाके लगाओ। आज लास्ट डे है।
हंसी जो इंसान को सकारात्मक सोच के लिए विवश करती है।
चाहे कितनी भी परेशानी हो, हंसी मुस्कान से सब परेशानी दूर हो जाती है।
एक मुस्कान न जाने कितने ही चेहरे पर खुशी और उमंग बढ़ाने के लिए काफी है।
डॉक्टर का मुस्कुराता हुआ चेहरा देखकर मरीज अपने आप ठीक हो जाता है। वही मुस्कान बिखेरती अध्यापिका जब कक्षा में प्रवेश करती है तो बच्चों के दिल खिल जाते हैं। वैसे भी मुस्कान बिखेरने में जाता ही क्या है? कौन सा टैक्स लगता है?
तो हंसो खुलकर हंसो। हंसो और सभी का दिल जीत लो यही तो होना चाहिए। यही तो जीवन की जीत है।
एक मई की तारीख महाराष्ट्र और गुजरात के लिए बेहद खास है, क्योंकि इसी दिन को भारत के दो बड़े राज्य महाराष्ट्र और गुजरात अपने स्थापना दिवस के तौर पर मनाते हैं। इसका कारण भारत की आजादी के समय ये दोनों राज्य बॉम्बे प्रदेश का हिस्सा थे।
आज का खास दिन समाप्ति की तरफ बढ़ रहा है।
कल फिर मिलते हैं तब तक के लिए
शुभ रात्रि