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कुछ सोचते हुये मिस्टर गर्ग ने अपनी पत्नी से कहा देखो अजय की शादी के छह महीने होने को आये पर ऐसा लगता है जैसे अपनी बहू नम्रता को हम लोग बरसो से जानते है वो हम लोगों। महादेव की कृपा जो ठहरी जो इतनी
अच्छी और सुशील बहू हमे मिली है जो हमेशा हंसती, मुस्कारती रहती है, सभी का कितना ख्याल रखती है लगता है यह हम दोनो के पिछले कर्मो का फल है। तभी नम्रता चहकते हुये आयी और बोली अरे अम्मा पापा जी आप
दोनो लोग अभी बात ही कर रहे है आप भूल गये आज आपको कही जाना भी है।अरे हां हाँमुझे याद है बेटा आज मुझे गोयल फैमिली से मिलने जाना है, परअभी टाइम है थोडी देर बाद रेडी हो जायेगे, कहते हुये अम्मा चाय का कप सिंक में रखने चली गयी। पापा जी एक बात बोलू यदि आपको बुरा न लगे तो पापा बोले बोलो बेटा क्या कहना है नम्रता बोली पापा आप जहां जा रहे है मुझे पता है आप चांदनी दीदी के लिये लड़का देखने जा रहे है पर यह ध्यान रखियेगा जब तक आपको लड़का और उसका परिवार ठीक न लगे हां मत करियेगा क्योंकि दीदी इतनी अच्छी जाब कर
रही है वो किसी पर बोझ नहीं है, और अभी तो मैं भी नयी हूं दीदी के साथ कितना कम रहने को मिला है। चांदनी दीदी बडी प्यारी और सीधीसरल है इसलिये लड़का भी उन्ही की तरह सीधा और सरल देखियेगा । फिर दीदी के लिये लडका तो मैं ही फाइनल करुंगी। पापा ठहाका लगा कर हंस पडे और बोले देख चांदनी तू कितनी खूशकिस्मत है जो तुझे इतनी समझदार और प्यारी भाभी मिली है वरना और कोई बहू होती तो कहती भगाओ ननद को जल्दी, चांदनी ने भी मुस्कराते हुये जवाब दिया कि मैं हूं ही इतनी प्यारी!
नम्रता अपने कमरे में आकर अपने पति अजय से बोली कि अभी चांदनी दीदी की उम्र ही कितनी है, इतनी भी जल्दी क्या है आप सब को, आप ही पापा जी बात कीजिये एक दो साल बाद हम सब मिलकर खूब धूमधाम केसाथ अपनी चांदनी दीदी की शादी करेगे क्या उनके लिये लडको की थोडी कमी है। अजय नम्रता को अब क्या बताये कि पापाजी
चांदनी की शादी को लेकर कितना परेशान है, जबसे चांदनी दीदी सर्विस में आयी तभी से पापा परेशान है लेकिन कोई लड़का ढंग का नहीं मिला अभी तक तभी तो थकहार कर मेरी शादी कर दी।
दोपहर में सभी लोग तैयार होकर चांदनी के लिये लड़का देखने गोयल विला, कानपुर के विजय नगर इलाके
की पाश कालोनी में बनी आलीशन कोठी में पहुंचे। गेट से अन्दर घुसते ही लान की ऐसी शान-शौकत की पूछो मत, जहां तक नजर गयी हरीभरी मखमली घास, किनारे किनारे बडे गमलों में लगे हुये पेड- पौधे, लाइटिग, झूला सभी कुछ ऐसा जो मन को पहली ही नजर में भा जाये। हमलोगो की गाडी की आवाज सुनकर उनका पालतू कुत्ता कोठी के अंदर से ही भौकने लगा, हम सब सहम गये तभी कोठी का दरवाजा खुला और गोयल जी मुस्कारते हुये निकले और बोले आइये आइये आपका स्वागत है हम सभी भी ठिठके से उनके पीछे पीछे चलते हुये एक बडे से ड्राइंग रुम में पहुंच गये, बडे बडे मखमली सोफे, झूमर इत्यादि शानो-शौकत से लबालब। हम जिस सोफे में बैठे थे लग रहा था कि हम सब अंदर की ओर धंसे ही जा रहे है। बेहद मखमली कुशन औरमुलायम सा कवर ऊपर सी एसी की ठंडी-ठंडी हवा में मुझे तो नींद सी आने लगी। तभी मिसेस गोयल मुसकारते हुये अपनी नौकरानी के साथ चाय-नाश्ते के साथ आयी और सभी को गले लगाते हुये बोली अरे कोई परेशानी तो नही हुयी, नही परेशानी तो नहीं हुयी बस यहां पहुंच कर आपके डागी
की आवाज से जरुर हम लोग डर गये, वो खिलाखिला पडी अरे बड़ा ना़टी है नये लोगो को ऐसे ही डरा देता है अब
देखिये कितने आराम से बैठा है।
इधर उधर की बातचीत के साथ चाय नाश्ता करते हुये सासू मां ने पूछ लिया कि बहनजी आपने मेरी बेटी चांदनी की फोटो देखी है न, कैसी लगी आपको वह मुस्करा कर बोली अरे बहनजी लडकियां कोई बदसूरत नहीं होती है पर मेल और संजोग बैठ जाये, रिश्ता चुटकियो में हो जाता है। आपकी चांदनी बिटियां तो बहुत प्यारी है, फोटो हम सब ने देखी है बस राहुल देख ले उसे पसंद तो हमे भी पसंद। वैसे मेरे बेटे राहुल को लड़की तो मेरी पसंद की ही चाहिये। इस हममिया-बीबी ही जो फाइनल करेगे वही उसे मजूंर होगा। चलिये मैं राहुल को बुलाती आप उसे देख ले फिर आगे की बात करते है।
थोडी देर बाद एक गोरा चिटटा पांच फीट दस इंच लम्बा लड़का आकर हम लोगो को नमस्ते करके बैठ गया। मैने पूछा आपका नाम क्या है वह बोला राहुल, आप कहां जांब करते है तभी मिस्टर गोयल बोले लड़का तो जाब कर रहा
था लेकिन इतना बड़ा फैमिली बिजनेस कौन सम्हालेगा इसलिये कोरोना के टाइम से जांब छोडकर बिजनेस सम्हाल रहा है, आखिर मेरी इकलौती संतान है यह नहीं सम्हालेगा तो कौन सम्हालेगा।