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नम्रता भी सोच रही थी कि अम्मा ने कहां
गलती कर दी थी अपनी बहू को समझने में पर चलो रवि तो उनका अपना बेटा था वह कैसे इतना
बदल गया न तो वह तेहरवी में आया न और न ही तेहरवी बीत जाने के बाद। आखिर ऐसा क्या
हो गया था कि रवि ने अपनी मां के अंतिम समय में आना भी जरुरी नहीं समझा जबकि वह
उनकी जान था और यह जानता था।
अम्मा के जाने के कुछ ही दिन ही बाद बडी
दीदी के परिवार से नम्रता के लिये रिश्ता आया और दीदी ने बताया कि उस परिवार ने
नम्रता को फैमिली फंक्शन में देखा है और
वह उन्हे पसंद भी है। चूंकि दीदी के परिवार से है इसलिये उन्होने भी बताया कि
अपने घर की तरह काफी बड़ा परिवार है, चार लडंकियो की शादी कर
चुके है और एक ही करनी है। बेटा क्लास वन अधिकारी है कही कोई दिक्कत नहीं है।
नम्रता को भी छूट रहेगी वो चाहे सर्विस करे या न उसकी मर्जी पर।
पापा ने जाकर घर परिवार देखा और बडी बहन के
ससुराल वालो के जाने वाले थे इसलिये ज्यादा खोजबीन भी नहीं करनी पडी और उसकी शादी
इस गर्ग फैमली में हो गयी। तभी नम्रता की तंद्रा अपनी सासू मां की आवाज से टूटी।
उसे शादी के पहले ही दिन से ऐसा अहसास हो
रहा था कि उसकी सासू मां बिल्कुल उसी तरह
उसे लाडदुलार कर रही थी जैसे उसकी अम्मा जी ने अपनी बहू रितिका से किया था। जिसका
नाजायज फायदा उसके अपने सगे और सब बहनो में सबसे छोटे दुलारे भाई रवि और रितिका ने
उठाया था। और यह मानव स्वभाव में होता कि आप उसे जिस सांचे में ढालो वो वैसा ही
ढल जाता है। इसलिये मुझे रितिका वाली गलती नहीं करनी है मुझे अपनी अम्मा को यदि
सच्ची श्रंदाजालि देनी है तो मुझे अपनी सास को वही मान- सम्मान और प्यार देना है जो हर सास का हक भी होता है और उसे मिलना भी
चाहिये आखिर वह चाहती भी क्या है कि बहु प्यार से सबसे बोले बात करे, घर में आये मेहमानो से इज्ज्त से मिले और घर के कामो में हाथ बंटा दे बाकि
काम तो हर घर में लगी महरिन कर देती है, किसी किसी के यहां
तो कपडे धोने वाली के साथ खाना बनाने वाली भी लगी होती है ऐसी परिस्थिति में भी
बहू यदि परिवार के साथ तालमेल नहीं बैठा
पाती है तो ऐसे बहू बेटा का क्या फायदा।
नम्रता बेटा की आवाज से मानो वह नींद से
जागी वह भी फौरन बोली हां अम्मा बताओ क्या बात है, सासू मां ने चौक
कर नम्रता की ओर देखा तो उसे समझ आ गया कि उसने अपनी अम्मा से बात करने वाला टोन
प्रयोग किया है शायद। सारी मम्मी जी मुझे लगा कि अम्मा जी ने आवाज दी आज आपको
देखकर अपनी अम्मा की याद आ गयी कहते कहते नम्रता की आंखों में आंसू आ गये,
सासू मां फौरन ही कहा आज से तुम मुझे अम्मा कह कर ही बुलाओ जैसे
मैं चांदनी की मां हू वैसे ही तुम्हारी भी। जाओ मुंह धो लो मैं चाय छान रही हूं
साथ पियेगे। इतना सुनते ही नम्रता ने अपनी सास को जोर से अपने सीने से चिपका कर
कहा कि अम्मा आप चलो मैं चाय लेकर आती हूं साथ चाय पियेगे और हां आप नमकीन निकाल
ले या जो पंसद है मुझे बताये मैं निकालती हूं इतना सुनते ही अम्मा जोर से हंसते
हुये बोली लो एक और चांदनी बिटिया आ गयी इस घर। मिस्टर गर्ग अखबार पढ़ते ही सास- बहू के
प्रेम की ऊष्मा को स्पष्ट महसूस कर रहे थे और उन्हे ऐसा लग रहा था कि उनकी नयी
नवेली बहू नहीं बल्कि उनकी कोई बेटी ही मायके आयी है बिल्कुल वैसा ही माहौल है
अभी वह सोच ही रहे थे कि नम्रता ने सीधे आकर बोला अरे पापा जी आप और चाय लेगे एक
ज्यादा है, हां हां बिल्कुल लूंगा। और हां पापाजी हम लोग रोज सुबह की चाय ऐसे ही साथ बैकर पीयेगे
क्योकि मैं अपनी सर्विस से रिजाइन कर रही हूं। बहुत कर लिया काम। अब एक नया
प्रोजेक्ट सम्हालूंगी वो होगा गृहस्थी का, अपने परिवार का।
नम्रता बोले जा रही थीऔर सास-ससुर उसको एक पलक निहारे जा है
कि यह हमारी बहू है, बिटिया है या कुछ और।