पहली बार खट खुट की कुछ आवाज़ें सुनकर मैंने नज़र अंदाज़ कर दिया पर उस सर्द कोहरे की रात को अचानक ही फिर से मुझे वही आवाज़ सुनाई दी , जब मैं आग के पास फैक्ट्री के शेड में बैठ मोबाइल में बाउंस नामक वीडियो गेम खेल रहा था , वीडियो गेम खेलने से चोट आदि से ध्यान हटता है और आप कम दर्द महसूस करते हैं... निर्णय लेने की क्षमता को आप वीडियो गेम्स खेलकर बढ़ा सकते हैं... वीडियो गेम्स में लगातार नयी चुनौतियां प्लेयर्स के सामने आती रहती हैं... जल्द से जल्द अपना विकल्प चुनना और निर्णय लेने से आपकी अपनी क्षमता भी बढ़ती है... मैंने भी दूसरी बार अचानक वैसी ही लोहे के टकराने की आवाज़ सुनी तो मेरे कान खड़े हो गए और मेरा ध्यान उस ओर गया जहां से ये आवाज़ आ रही थी... उस सर्द रात को कोहरे ने सब कुछ अपनी आगोश में ढक लिया था, जिससे आस पास का भी कुछ भी ठीक से देख पाना मुश्किल था... कोहरे के घने पर्दे को पार कर मैंने उस ओर बढ़ कर देखने का निर्णय लिया और कुल्हाड़ी अपने एक हाथ में लिए दूसरे हाथ में मौजूद मोबाईल की रौशनी में आगे बढ़ने लगा... ये कंस्ट्रक्शन साइट का वो एरिआ था जहां पी सी सी पोलों का निर्माण होता है...
हमारे यहां 8. 5 मी और 9. 00 मी लॉन्ग पोल्स का निर्माण कार्य होता है, साढ़े आठ और नौ मीटर इनकी चौड़ाई से नापा जाता है... उस रात 9.0 मी लॉन्ग पोल्स के दो मोल्ड्स में पोल्स का निर्माण कार्य हुआ था और उनके तैयार हो जाने के बाद हाइपर टेंशन वायरस की कटिंग कर उन्हें लापरवाही से वहीं छोड़ दिया गया था, कार्य की अधिकता और लेबर ड्यूटी आउर्स के ख़त्म हो जाने के कारण...
हाइपर टेंशन वायरस अक्सर प्लेट्स को बांधे रखते हैं और एक बार कटिंग हो गई तो चूड़ियां भी ढीली पड़ जाती हैं जो दोनों एंड्स पर बने गुल्ला चाबी द्वारा टाईट कर जाम कर दी जाती हैं, जिससे एच टी वायर तना रहे और पोल का ढांचा सीधा खड़ा हो सके... कटिंग करने के बाद प्लेट्स भी लापरवाही से वहीं छोड़ दी गईं थीं , जिससे चोरी होने का ख़तरा और भी अधिक था... इसलिए मैंने आ रही खट खुट की आवाज़ पर प्रतिक्रिया दिखाते हुए आगे बढ़ कर देखने का निर्णय लिया था... मैं पूरी फैक्ट्री में अकेला अपने एक हाथ में कुल्हाड़ी लिए आगे बढ़ा जा रहा था घने कोहरे कोहरे के पर्दे को चीरते हुए, अब तक मैंने आधी दूरी पार कर ली थी कंस्ट्रक्शन साइट की ...
" ख ss ट... खा ss ट... खट... ख ss ट,"तभी अचानक एक बार फ़िर से लोहे के हथोड़े का प्रहार होने जैसी आवाज़ आती है... नौ मीटर पोल्स का मोल्ड मेरे नज़दीक ही था , मैंने उसे हाथ लगा कर देखा कि शायद उसमें कोई कम्पन उत्पन्न हुआ है या नहीं... मेरा शक सही था घने कोहरे के दूसरी तरफ कोई गुल्ला चाबी ढीली कर एंगल को उसे चुराने के लिए निकाल रहा था, जिसमें से एच टी वायरस लगे हुए थे... क़रीब अस्सी किलो के वज़न का वो एंगल वेल्डिंग कर के जोड़ा नहीं गया था जिससे उसके चोरी होने का ख़तरा ज़्यादा था... मैं समझ चुका था कि अगर मैं कोहरे में बिलकुल सीधे बढ़ता हूं तो मेरा सामना उन चोरों से होगा, या ये भी हो सकता था कि वो मुझे आते हुए देख लें और सतर्क हो कर भाग जाए, दूसरे विकल्प पर ध्यान देते हुए मैंने उसे चुनकर आगे की दूरी कंस्ट्रक्शन साइट के ऊपर से होते हुए नहीं बल्कि नीचे उतरकर क्योरिंग टैंक की ओर से आगे बढ़ने का निर्णय लिया...
क्यूरिंग टैंक का इस्तेमाल पोल्स को मोल्ड से बाहर निकाल कर उन्हें चौदह दिनों तक पानी से भरे टैंक में रख कर उसे मजबूत बनाने में किया जाता है , जिससे सीमेंट के पोल्स अच्छी तरह से पानी सोख कर मजबूत बन जाएं... कंस्ट्रक्शन साइट के नीचे क्युरिंग टैंक के उस एरिया की ज़मीन थोड़ी कच्ची पगडंडी जैसी थी जिस पर आस पास घांस उगी हुई थी, मेरे भाई द्वारा बेचे गए यू एस आर्मी के बूट्स मैंने उस समय पहन रखे थे जिनके एक सिरे पर लोहे जड़े हुए थे , जो पैरों की उंगलियों को पत्थरों से ठोकर लगने के दौरान बचाने व दुश्मन को ठोकर मारने के लिए बिलकुल उपयुक्त थे... जाड़े की रातों में गश्त लगाते समय वो बूट्स बहुत काम आते थे, पैरों को गर्म भी रखते थे और सुरक्षित भी, उन बूट्स को उसने अपने किसी मिडिल ईस्ट के मित्र से ख़रीदा था जिसे पैसों की जरूरत थी...
मैं धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था ताकि चोरों को मेरे आने की भनक तक न लगे, उन दिनों केवल कुछ स्थानों पर ही लाइट्स की सुविधा फैक्ट्री में होने के नाते उस एरिआ में अंधकार ही रहता था और उस रात तो कोहरे ने भी पूरी फैक्ट्री को ढक रखा था... पर फ़िर भी इन बातों की परवाह किए बगैर मैं अपने हाथों में कुल्हाड़ी थामे आगे बढ़ रहा था... जैसे ही जैसे मैं कंस्ट्रक्शन साइट के अन्त के नज़दीक पहुंच रहा था वैसे ही वैसे मेरे दिल की धड़कनें तेज होती जा रही थीं...
"ठा ss क... ठुक... ठा ss क," तभी अचानक एक बार फ़िर से कुछ ठोकने की आवाज़ आई... मेरा ध्यान उस ओर गया, पर इस बार ये आवाज़ कंस्ट्रक्शन साइट के अंत से नहीं बल्कि स्टोर की ओर से आ रही थी , जो ठीक उसकी उल्टी दिशा में दाईं ओर स्थित था और मेरे बाईं ओर... मुझे समझते देर नहीं लगी कि आज इस फैक्ट्री में दबंग चोरों का गिरोह घुस आया है और फैक्ट्री की दोनों दिशाओं में मौजूद है... एेसे दबंग चोरों का गिरोह रात में गश्त लगाने वाले को मारने या गम्भीर रूप से घायल करने से पीछे नहीं हटता है , सब कुछ परिस्थिति पर निर्भर करता है... कई बार हालात बिगड़ जाते हैं तो सिक्योरटी देने वाले को मार भी दिया जाता है या कई बार बुरी तरह पीट कर बेहोश कर चोरी करके भाग जाते हैं, पर चोरी करते ज़रूर हैं, एेसे गिरोह ज़्यादातर हेरोइन या चरस के नशे के आदी होते हैं और नशे में इन्हें अच्छा बुरा कुछ भी नहीं दिखता है... मैं समझ चुका था कि आज रात मेरे इम्तिहान की घड़ी है, जिन हथियारों को चलाने का अभ्यास इतने दिनों तक किया है उन्हें आजमाने का अवसर आ चुका है, आज रात आर या पार की लड़ाई होना तय है...
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.