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वो सर्द रात- 11

18 May 2023

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अपने स्वेटर की आस्तीनो को ऊपर कर मैं अपने दाएं हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े, जिसकी धार पर उन चोरों के लीडर की गर्दन टिकी थी तथा अपने बाएं हाथ से उसे गर्दन से दबोचे हुए , मैं मेन गेट की दिशा में बढ़ रहा था और मेरे हर एक क़दम आगे रखते ही उन चोरों की टोली अपने लीडर की गर्दन बचाने के लिए पीछे हट रही थी... 

" एक बात बतावा, का मिली हम पचे से टकरा के... हम तोके अच्छा पईसा दे सकिला और जो कहा ऊ दी, बस हम पचे का साथ दे के देखा हो... मर्दवा ," उन चोरों के लीडर ने मेरे साथ आगे कदम बढ़ाते हुए मुझसे कहा। 

" अरे ये क्या... अचे पचे लगा रखा है, हिन्दी में बात करता तो कुछ समझ में भी अाता... अभी कोचिंग क्लास करना पड़ेगा तेरी भाषा सीखने के लिए मुझे, मेरी हिन्दी तो फटाक से समझ लेता है... बस अपनी बारी में कोड लैंग्वेज में बात करने लगता है... अब चल सीधे आगे की ओर बढ़ ," मैंने उस लीडर की बातों का जवाब देते हुए कहा और उसे आगे की ओर बढ़ाने में ज़ोर लगाने लगा। 

" देखा बात माना... या तो हम पचे का साथ दे दा... का मिली तो के सरकार का साथ दे के... हम पचे तो के अच्छा माल देई बे... एक बारी अच्छे सोचा मर्दवा... अब मान भी जावा," उस लीडर ने एक बार फ़िर मुझसे निवेदन करते हुए कहा। 

" फ़िर से कोड लैंग्वेज में बात करने लगा... मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा है... तेरी भाषा सीखने के लिए अभी कुछ साल और बिताने पड़ेंगे... और मैं जल्द ही काम ख़त्म करके यहां से कल्टी होने वाला हूं... इतनी तगड़ी ड्यूटी किसी ने नहीं की होगी , सोलह घंटों की ड्यूटी अकेले सम्भाल रहा हूं, दिन भर ऑफिस की भागदौड़ और रात में चोरों का शोर... अब चोर पकड़े गए हैं, बस अब तो ट्रांसफर हो ही जाएगा," मैंने उस लीडर की बातों को सुनकर अपनी प्रतिक्रिया दिखाते हुए कहा... मैं मन ही मन खुश था कि अब तो ट्रान्सफर होकर ही रहेगा क्यूंकि मैं तब उस जगह के लिए नया नया था... न तो मुझे उनकी भाषा समझ में आती थी और न ही तौर तरीकों के बारे में कुछ पता था। 

चलते चलते हम स्टोर के पास के जंगलों को पार कर चुके थे और अब मेन गेट के सामने की सड़क तक पहुंच चुके थे... कोहरे ने अब भी अपनी सफ़ेद चादर से सब कुछ ढक रखा था, ऐसे में फैक्ट्री के कुछ पोल्स पर लगे दो सौ वॉट के बल्बों से अाने वाली हल्की रोशनी फैलने के बजाय कुछ ही दूरी में समेट कर रह गई थी... फ़िर भी मेरे ठीक सामने स्थित पोल के बल्ब की रोशनी का पीछा करते हुए मैं सही दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था। मेरे लगातार आगे बढ़ने के कारण चोरों का दल भी पीछे की ओर हट रहा था... मेरा मकसद साफ़ था, मैं किसी भी हालत में बस यही चाहता था कि उन चोरों का दल किसी भी हालत में फैक्ट्री के बाहर निकल जाए और अब आगे कोई भी नुकसान न होते हुए इस दहशत भरी रात से छुटकारा मिल जाए... पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था... हमेशा सब कुछ अापके चाहने से हो जाना सम्भव नहीं है, ऐसा ही कुछ उस रात घटित हुआ , जिसकी कल्पना तक मैंने नहीं की थी... 

" एक बार फ़िर सोच लिया हो मर्दवा... ई मौका तो के दोबारा न मिली... हमार पचे का साथ दे दा और अपन जान बचावा, समझला... वर्ना बहुते पछताई के पड़ी," उस लीडर ने एक बार फ़िर से अपनी देहाती भाषा में मुझसे कहा, पर उस समय उसकी भाषा मेरी समझ के बाहर थी... वो क्या बोल रहा था इसका ज़रा भी अंदाज़ा  मुझे नहीं था उस समय। 

" पी ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं... पी ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं," तभी अचानक एक बार फ़िर से बगल की फैक्ट्री EMC से सिक्युरिटी गार्ड के व्हिस्टल की आवाज़ सुनाई पड़ती है। 

" ले बेटा तेरे मामू ने बग़ल की फैक्ट्री से व्हिस्टल बजाई है और तेरी मामी को आवाज़ लगाई है, कि मैं ठीक ठाक हूं घर पर सब कैसे हैं... अब मामू को क्या पता कि उनका एक भांजा यहां उनकी खैरियत पूछने आया है, अपने साथियों के साथ... अब बता तुझे मेरी बात समझ में अाई या नहीं , क्यूंकि तू क्या बोल रहा है, मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा... अब इस कोड लैंग्वेज में बात करना बंद कर दे... आ ss या ss ह," मैंने अपनी फैक्ट्री के बग़ल की फैक्ट्री EMC के सिक्युरिटी गार्ड की व्हिस्टल की आवाज़ सुनते ही उस लीडर पर तंज कस कर कहा, पर मैं अपनी बात पूरी कर पाता कि उससे पहले ही मेरे मुंह से एक दर्दनाक चीख निकल गई... उस लीडर ने मौके का फ़ायदा उठा कर अपनी जेब से एक ब्लेड या चाकू नुमा तेज़ धार हथियार बाहर निकाला और मौका लगते ही मेरे दाएं हाथ पर वार करके, मेरी पकड़ अपनी गर्दन से ढीली करने में कामयाब हो चुका था , क्यूंकि वो पहला वार मेरे दाएं हाथ पर होने की वजह से मेरा ध्यान भटक चुका था और पकड़ कमज़ोर पड़ चुकी थी... जिस वजह से वह आसानी से आज़ाद हो चुका था।

अपने लीडर को मेरी पकड़ से आज़ाद होता देख , बस कुछ ही दूरी पर खड़े हुए उसके साथी दौड़ते हुए उसकी सहायता करने के लिए उसके पास आते हैं... मेरे दाएं हाथ पर उसके तेज़ प्रहार करने के कारण हाथ पीछे की तरफ से फट चुका था और ख़ून की तेज़ धार बहने लगती है, जो आस पास की ज़मीन पर भी अपनी छाप छोड़ देती है... उसके साथी अपने लीडर के बिलकुल क़रीब आते ही  उसका इशरा पाते ही मुझे पकड़ने के लिए लपकते हैं और मैं तेज़ उठ रही पीड़ा के कारण कुछ देर के लिए असहाय सा महसूस करने लगता हूं , जिसका भरपूर फ़ायदा उठा कर वे लोग मुझे पकड़ने में कामयाब हो जाते हैं और मेरे हाथ से कुल्हाड़ी को छीन लेते हैं , जिस पर शायद मैं पहले ही पकड़ ढीली कर चुका था , अपने दाएं हाथ पर ब्लेड या चाकू नुमा तेज़ धार हथियार से हुए वार के कारण। 

किस्मत ने पल्टी मार कर एक बार फ़िर से बाज़ी पलट कर रख दी थी और एक बार फ़िर से चोरों का भाग्य चमक उठा था। 
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.

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ये मेरे दाएं हाथ की तस्वीर है जिस पर डिब्राइडमेंट सर्जरी की गई थी , दुर्घटना में छतिग्रस्त होने के बाद... उस 19 दिसम्बर की रात के दौरान इस हाथ की कोहनी के ऊपर लम्बा गहरा कटने का निशान था, जो मुझसे बचने के लिए चोरों के लीडर ने तेज़ धार हथियार द्वारा गहरा घाव दिया था। मेरे दाएं और बाएं हाथों पर घाव दिए गए थे उस रात , जिसकी कहानी आगे जारी रहेगी... 


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