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Nikhar rahe hai

25 August 2022

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आजकल आंसू से जिंदगी का बोझ उतार रहे हैं
बिखरी ज़िंदगी में
किसी टूटे हुए आईने में खुद को सवार रहे है।
वक्त कटा जाता है इंतजार में मेरा
मानो घड़ी को भी अभ तरस आरा है।
©neharika_words

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