Home Meaning बिजली उत्पन्न करने का यंत्र
Meaning of बिजली उत्पन्न करने का यंत्र in English One who, or that which, discharges. Specifically, in electricity, an instrument for discharging a Leyden jar, or electrical battery, by making a connection between the two surfaces; a discharging rod. Meaning of बिजली उत्पन्न करने का यंत्र in English English usage of बिजली उत्पन्न करने का यंत्र Synonyms of ‘बिजली उत्पन्न करने का यंत्र’ Antonyms of ‘बिजली उत्पन्न करने का यंत्र’ Articles Related to ‘बिजली उत्पन्न करने का यंत्र’ उफ़ बेचारा... रूहों का मेला... मुर्दों की आवाज़... राधे कृष्ण विशेष दिवस हर रातों को पूनम कह दूँ गेम ओवर... दोहे- दर्शन
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चलो उम्र ना सही,
मेरा एक लम्हा तो सवारा है तूने,
वादा किए आखिरी सास तक की,
पर होते ही उड़ गए...
चलो जिंदगी का,
एक पल तो गुजारा है तूने ।
तबाह कर गया मुझको,
लब्जों मे बया भी नही कर सकता,
किया कितना खसारा है तूने,
पतझड़ का मौसम हो गयी है जिंदगी,
मेरा छीना एक - एक सहारा है तूने ।
मेरी मुश्किलें... उम्र के साथ
बढ़ती जा रही है,
कैसे कह दूँ...
दर्दों से मुझको उबारा है तूने,
जो तुम चल दिये..
अपनी यादों को भी लेकर जाते,
खुद को बसाकर...
अपने दिल से मुझको, नकारा है तूने ।
ये हवाएँ... ये फिजायें...
खुशबु नही लाती... अब...
पहले की तरह,
लगता है गुलशन को भी
बदन से उतारा है तूने,
वो लबों की मुश्कान तेरी...
ख्वाबों मे भी दिल को चिर जाती है,
जाने क्यूँ... और कैसे...
मेरी मोहब्बत को, किया किनारा है तूने ।
वफा, एहतराम.. जो कुछ भी है,
तेरे - मेरे दरमियाँ.. इश्क़ में
सारा का सारा.. हमारा है,
ऐ साथी , साथ छोड़ जाना तेरा,
हर शाम गुजारती है मयखाना मेरा,
संभलना कहीं तुझे भी
कोई छोड़ ना जाए...
किया गलत इशारा है तूने ।
वादा किये आखिरी सास तक की
पर होते ही उड़ गए,
चलो जिंदगी का....
एक पल तो गुजारा है तूने..... ।।
✍️ Author Munna Prajapati
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आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया,
जिसने जाती और मजहब मे
लोगों को उलझा कर रखा है ।
उसने हमेशा बतलाया है के तुम बड़े हो,
तुम्हे बड़ा होना चाहिए और
सबसे आगे होना चाहिए,
तुम हिंदू हो तुम मुश्लिम हो
तुम सिख हो तुम ईसाई हो,
और आज मंच पर, कुछ लोगों के बीच
कह रहा था के हम भारत वासी एक हैं ।
जो अपने फायदे के लिए अपनी
शान के लिए, अपने पद के लिए
जाने कितनों को मौत के घाट उतार दिया होगा!
वह शख्श आज मंच पर, तिरंगे के सामने
इस देश को मजबूत बने रहने का
शिक्षा दे रहा था ।
जो हमेशा लोगों को कम शिक्षित
रखने का उपाय ढूंढता रहा, वह
आज मंच पर विद्यार्थियों के सामने
उच्च शिक्षा पाने की हौशला दे रहा था ।
कुछ शहीदों के बारें मे, उनका चरित्र
चित्रण कर रहा था, अल्पज्ञ लोगों को
समझा रहा था, आजादी कैसे हुयी
इसकी गाथा सबको सुना रहा था जिसने
अपने कर्मों का किताब कहीं
छुपा कर रखा है ।
बहोत बड़ी बड़ी बातें की उसने,
वह सब उसकी जुबानी थी, और
सच तो ये है की वह सब किसी की
लिखी हुयी कहानी थी ।
उसने ये नही कहा कि अस्पताल में,
मरीजों (गरीबों ) को क्यूँ रुलाते हो,
उचे पद पर बैठकर लूट पाट क्यूँ मचाते हो,
किसी मशले को हल करने मे
इतना वक़्त क्यूँ लगाते हो ।
वो लोग भी क्या अजीब थे
जो उसके चिकनी बातों के करीब थे,
तालियां बज रही थी, जय हिंद के
नारे भी लग रहे थे परंतु.....
हिंदुस्तान को जिताने का या फिर
जश्न ए जीत का भाव किसी के
दिल मे नहीं था ।
सब इसी मे डूब गए, के, कब, कैसे
और किसने आजादी दिलायी,
कितनी मुशक्कत् स्वतंत्रता सेनानियों ने
उठायी... बस इन्ही सब बातों पर
हम सबको फुसला कर रखा है ।
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया, जो
इस जमी का खाता है, इसी जमी पर
रहता है, हम लोगों के बीच जीता है मगर
भला सिर्फ अपना सोचता है,
मै भी चाहता हूँ,
आजादी की शुभकामनाएँ दूँ... पर
किसे दूँ.... किसे....... 😥
✍️ Author Munna Prajapati
#post #positivity #PostViral #poem #realtalk #reallife #public #truth #writer #life #virals धर्म का गीत आम का पेड़ "सपनो का मंदिर" सच होता है कड़वा "सपनो का मंदिर" बीएससी एग्रीकल्चर करने के बाद कौन कौन सी नौकरी मिलती है? किताबें पढने के लिए वक़्त कहाँ है किसी के पास, पूरी दुनिया तो परदे पर दिखायी जाने वाली काल्पनिक चलचित्रों के पीछे दौड़ रही है और अपने आप को अंधकार में लेकर जा रही है । जो जो वास्तवीक ज्ञान पुस्तकों में है वो चलचित्रों मे नही । आप एक मिनट से कम समय की वीडियो देखतें हैं और प्रत्येक मिनट के बाद दूसरी वीडियो देखतें हैं इनके बीच आप अपने मस्तिस्क की स्थिरता को बड़ी तेजी से बदलतें है ।
लगातार एक प्रभाव, दूसरा प्रभाव फिर तुरंत तीसरा प्रभाव, ऐसे ही लगातार स्थिरता, अपनी सोच, उद्देश्य, लक्ष्य आदि को बदलतें हैं जिसके वजह से आप अपने जीवन मे किसी एक लक्ष्य पर स्थिर नहीं रह पाएंगे । स्वभाविक सी बात है इस तरह की क्रियाएँ आपकी स्थिरता को भंग करती है और आप खुद को रोक नही पाते । जब कोई चीज थोड़ी सी ज्यादा समय लेती है या फिर समझ में नही आती तो आप उसे तुरंत छोड़ देते हैं । परंतु आप उसे समझने या किसी एक ही विषय पर गहरा अध्ययन करने की कोशिश नही करते । इंसान की यह सबसे बड़ी दुर्बलता है । जिससे कि वह अपने लक्ष्य को पाने मे चुक जाता है ।
कोई भी बड़ी चीज क्षणिक सोचने से या क्षणिक अध्ययन से पूर्ण नही होती उसके लिए वक़्त चाहिए होता है । और यह तो हमारे मस्तिस्क से निकल चुका है । एक मिनट से अधिक हम किसी एक विषय पर तो सोच ही नही सकते ।
हम जब तक रिल्स देख रहे होते हैं हमारा मस्तिस्क उसके विषय में सोचता है, जो हम देख रहे होतें हैं । परंतु किताबें, जिसमे प्रत्येक शब्द लिखे हुए हैं, उसे आप बार-बार पढ़ सकते हैं । उसे सोच सकते हैं । उसके अनुसार आप अपने जीवन को सक्रिय कर सकते हैं । यह जो मोबाइल फोन का दौर है, यह हमे उस अंधकार के तरफ ले कर जा रहा है जहाँ चारो तरफ कोई भी चराग़ नही । पुस्तकें मनुष्य का मार्गदर्शक हैं । ऐसा नहीं की मै पुस्तकें लिख रहा हूँ तो ही ये सारी बातें कर रहा हूँ! यदि आप इस बात का विचार करना चाहे तो भी नही कर सकते । और नाही यहा तक पहुँच सकतें है जहाँ तक हमने यह कल्पना की है । हम आधुनिक दौर मे जरूर जा रहे हैं परंतु यह भी सत्य है की हम अपने आप को कहीं खो रहें है ।
चलिए जरा सा सोच कर देखिये –
यदि गूगल बंद हो जाय ! यदि इंटरनेट काम ना करे तो हमारा क्या अवस्था हो जायेगा ।
जब मोबाइल का डाटा (इंटरनेट) समाप्त होता है तो इसके बगैर हम इक दिन नही रह पाते, कैसे भी हमे रिचार्ज करवाना ही है । इसका अर्थ यह है की हम किसी के अधीन होते जा रहें हैं । हमारी मानसिकता , हमारे मस्तिस्क पर किसी और का अधिकार हो रहा है । हम मानसिक रूप से किसी और का गुलाम होते जा रहें हैं । आप अपनी आँखें खोलिए और देखिये । हम 1947 मे आजाद हुए थे सत्य है मगर अब फिर हम खुद को गुलामी की तरफ ले जा रहें हैं , आधुनिकता समझकर ।
✍️😰✅🤔 Author Munna Prajapati
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हम और हमारे 'सपने' #hindi #lyrics खुमारी है जिश्म का...
टूट जाते हैं दिल, सुख जातीं हैं आखों में पानी,
लोग बदल जाते हैं , रह जाती है अधूरी कहानी,
मै तो बेहेक गया , तुम ना बेहेक जाना,
बुरी एक बीमारी है ...इश्क़ का ,
बस एक खुमारी है...जिश्म का..... ।
बिन अब उसके, मै जी ना सकूँगा,
तन्हा अकेला गम के आँशु, मै पी ना सकूँगा ।
चाह कर भी, कुछ कर नही पाता,
ये कैसी लाचारी है.. इश्क़ का,
बुरी एक बीमारी है... इश्क़ का
बस एक खुमारी है... जिश्म का....।
सांस तो चल रही है, पर जिंदा लाश बन गया हूँ,
जो बीत जाती है, हाय वो काश हो गया हूँ ।
क्यूँ कोई हाथ थामकर, नही निभाता,
ये कैसी रिश्तेदारी है.. इश्क़ का,
बुरी एक बीमारी है.. इश्क़ का..
बस एक खुमारी है.. जिश्म का.... . ।
टूट जाते हैं दिल, सुख जातीं हैं आखों में पानी,
लोग बदल जाते हैं , रह जाती है अधूरी कहानी...
मै तो बेहेक गया.....
✍️ Author Munna Prajapati
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नोट :- यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें है परंतु हमारी अनुमति लेने के बाद । हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏 शीर्षक :" ये मसला सिर्फ हँसी का है "
तु आसमा क्यु तकता है,
हर एक लफ्ज़ तो इस ज़मी का है ।
तु इतना क्यूँ सोचता है,
ये मसला सिर्फ हँसी का है ।
यू देख कर सितारों को,
क्यु नम करता है,पल्कों के किनारों को,
जरा देख इन खूबसूरत नजारों को,
बाग में और भी फुल हैं,
क्यु उलझा है, ये दुनिया का उसूल है,
खुद ब खुद भर जायेगा, तु फिकर ना कर,
भूल जा दिल के दरारों को ,
ये असर इश्क़ मे मयकशी का है..
तु आसमा क्यु तकता है,
हर एक लफ्ज़ तो इस जमी का है,
तु इतना क्यु सोचता है.... ।।
जो चले गए वो नही हैं , जिंदगी निवाहने वाले,
कोई और होगी रहगुजर, दुनिया बहुत बड़ी है,
बहोत मिलेंगे चाहने वाले,
तु खुद से ना खुद को इतना सता,
तेरी आँखों में कोई खोट नही
ये बात अपने दिल को तो बता,
अब यहाँ ऐसे ही होता है, कहाँ
अब कोई किसी के लिए रोता है,
खुद को मजबूत कर, उसको हटा,
रात गुजार, सुबह होते ही बाग मे
एक फुल खिल जायेगा,
यकीन कर, खुद पर, खुदा पर,
उससे बेहतर कोई मिल जायेगा,
तु बस उसी का नाम क्यु जपता है..
यूँ खामोशी मे आसमा क्यु तकता है,
सारा मसला तेरी मायूशी का है,
तु इतना क्यु सोचता है,
ये मसला सिर्फ हँसी का है ।।
तु जी कर तो देख पहले की तरह,
नजारों मे कोई कमी नही होगी,
मै लिख कर देता हूँ तुझको,
फिर कभी नजरों मे नमी नही होगी,
वहम है, सारे गम, हमी को है...
तु इतना क्यु सोचता है,
हर लफ्ज़ तो इस ज़मी का है ,
हुआ कुछ नही, ख़ाब भूल कर तो देख,
ये मसला सिर्फ तेरी हँसी का है.. ।।
( Don't copy please.. Share direct)
IG : @meri_lekhani_
Author Munna Prajapati
#post #poetry #poetrychallenge #poetrylovers #poem The Mahabharata as I see it #poetry शिर्षक:" वो सबक थी मेरी जिंदगी का "
एक खूबसूरत, रंग बिरंगी तितली,
फूलों से उड़कर, मेरे जिशम् को
छुकर, उड़ गयी ।
जाने किस तरह, मेरी निगाहों से,
मेरे दिल में उतरकर, मुझसे,
मेरे सपनों से जुड़ गयी ।
खूब हसाती, बिलखाती, प्यार जताती,
हर पल, मेरे दिल के बाग़ीचे मे बिहार करती ।
मुझे लगा, फल है मेरी ,किसी बंदगी का,
मुझे लगा ये मेरी मोहब्बत है,
लेकिन वो सबक थी मेरी जिंदगी का... ।।
जाने क्या हुआ, जलता चराग़ धुआ हुआ,
जाने कैसी हवा लगी,
किस मौसम ने उसको छुआ ,
एक पल मे कोई अपना, सपना हुआ,
जाने कहाँ छिप गयी जाकर, एक उम्र तक
मेरी नजरों को तड़पना हुआ ।
कोई बहकाया या बहक गयी,
किसी और के बाग़ीचे मे जाकर, चेहेक गयी ।
रंग उतर गया मेरे चेहरे से, आशिकी का
मुझे लगा ये मेरी मोहब्बत है...
लेकिन वो सबक थी मेरी जिंदगी का ।।
मै अकेले अंधेरों मे, खामोश रहा,
उसकी वेदना मे मदहोश रहा ।
मैने सदिओं बाद, कलम कागज से साथ की,
दिल की हर बात लिखा, और फिर
खुद से बात की ।
अभी तक कोई इश्क़ का पैग़ाम नही आया,
वो मिटा ही नही, जो रंग दिल मे समाया,
दर्द, खामोशी, सबर, चिखना, सिसकना,
मैने बहोत कुछ सिखा...
जो कुछ भी मेरे हिस्से मे आया ।
मुझे लगा, वो मौजूदगी है मेरी, गैर मौजूदगी का
मुझे लगा, वो मेरी खुदा की इबादत है...
लेकिन नहीं.....
वो सबक थी मेरी जिंदगी का... ।।
Author Munna Prajapati #love #life #sadlife #sad #post #poetrylovers #poem #poetrychallenge #viralpage #writing #writes
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