राजन्तमध्वराणां गोपामृतस्य दीदिविम् । वर्धमानं स्वे दमे॥
Ruler of sacrifices,
guard of Law eternal,
radiant One,
Increasing in thine
own abode. "
ईश्वर का ही रूप सत्य है,
सत्कर्मों में बृद्धि स्वरुप है,
सत्प्रयासों के रक्षक हैं,
उस आलोक में आलोकित हम हैं ।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"