I. N. D. I . अलायंस का पत्रकारों पर लगा प्रतिबन्ध सोचने पर मजबूर करता है । कुछ पत्रकारों पर प्रतिबन्ध लगाना कहाँ से उचित है । देश विरोधी पत्रकारों का विरोध भी तो करना चाहिए। अगर कुछ भारत की बात कहने वाले पत्रकार नहीं होंगे तो विदेशी मीडिया तो हमेशा की तरह देश की छवि को बर्बाद करने की कोशिश ही करेंगे। पब्लिक भी प्रतिबंध लगा देगी, इन सामंती सोच के लोगों पर। लगता है कि आखिरी पारी खेली जा रही है । ये पब्लिक है सब जानती है ।
(1)
क्रूर हँसी के साथ हँसते हो,
तो दिख जाते हो,
मीठी मुस्कान फ़ेरते हो,
तो भी दिख जाते हो,
ओ शैतान के सपूतों,
तुम्हारे कपड़ों पर पड़े,
रक्त के सुर्ख धब्बे नहीं मिटे,
जब भी कोशिश करते हो,
ये धब्बे छुपाते हो, मिटाते हो,
तुम्हारी पिपासा बढ़ जाती है,
तुम फिर रक्त पीने को,
लालायित से हो, दिख जाते हो ।
(2)
वो, वो हैं जो तुम्हारी हरकतों को नजरंदाज नहीं करते,
और तो और भाई ये पब्लिक के सामने कहतें नहीं डरते,
एजेंडे तुम्हारे छुपे के छुपे ही रह जाते जो खोल दिए इन्होनें,
बस सिर्फ यही एक बात है कि तुम्हें ये हैं खूब अखरते ।
(3)
कैसा है व्यवहार ये,
हिटलर सा व्यवहार ये,
कैसे प्रतिबन्ध लगाओगे,
प्रजातंत्र है भाई ये ।
(4)
कुछ भी नाम रख लो,
पहचान लेंगे हम,
झंडा कोई उठालो,
पहचान लेंगे हम,
तुम नफरतों के बीज को,
बोते हो हर जगह,
कितना भी बहला लो,
पहचान लेंगे हम ।
@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"