उप त्वाग्ने दिवेदिवे दोषावस्तर्धिया वयम् । नमो भरन्त एमसि
To thee,
dispeller of the night,
O Agni,
day by day
with prayer
Bringing thee
reverence,
we come.
एक नहीं, सत-सहस्त्र नेत्र हैं,
कोटि-कोटि कर्मों के साक्ष्य हैं,
अग्नि साक्षी है तभी तो पवित्रतम,
सत्कार्यों से भटके न लक्ष्य हैं ।