यदङ्ग दाशुषे त्वमग्ने भद्रं करिष्यसि । तवेत्तत्सत्यमङ्गिरः॥
Whatever blessing,
Agni,
thou wilt grant
unto thy worshipper,
That, Angiras,
is indeed thy truth.
हे अग्नि रूप ईश्वर ये सुन लो,
न्याय, दया, कल्याण, मित्र हो,
यज्ञ प्रयोजन भी तो तुम हो,
और यज्ञ के फल भी तुम हो ।
जो कल्याण करो इस जग का,
धारित ये जग कर अन्तर्यामी हो,
इसीलिए जो भी सत्कृत फल हो,
हे अग्नि तुम ही लाभान्वित हो ।