अग्निना रयिम्श्र्न्वत्पोष्मेव दिवेदिवे । यशसं वीरवत्तमम् ॥
Through Agni
man obtaineth wealth,
yea, plenty waxing
day by day,
Most rich in heroes,
glorious.
सद्कर्मों में सहायक हो
हे अग्नि ! , हे पावक हो ! ,
निश्चय करें तो अटल हो
जो अभीष्ट का साधक हो ।
हे निश्चय दृढ! तुम्ही अनल हो
तुमसे ही अचल सचल हो,
तभी पूजते आदि आधुनिक
तुम देवों का आवाहन हो ।
प्रथम ऊर्जा वैश्वानर हो,
चलने पर पहला पग हो,
मार्ग कठिन या रहे असंभव
तुमसे हो तब ही तो संभव हो ।