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साजिश ए इश्क।

12 August 2024

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साजिश ए इश्क का दौर है संभल कर चल,
मिले न जिस्म तो कट जाते है टुकड़े कई ।।

मोहब्बत आज भी कोडी है सिर्फ भूख की,
मिटे न तो उड़ जाती है रूह तक खुद ही गोई।।

यह दौर बस इश्क के तो मुगालते का है,
असल है वासना जो नकाब है ओढे खड़ी।।

बहुत हुआ तो काट लेगे वक्त कुछ जरा,रकीब सा,,
जो आई बात जिन्दगी की तो लगेगी न वह भली।।

वो दौर और था जब इश्क नही होता प्रेम था,
स्नेह रहता था नेह वात्सल्य सा, वो बात ही न रही।।

देह जिंदा है रूहें है देखो मर चुकी,
इसी को साजिश ए इश्क मे है अब री चली।।

=/=
संदीप शर्मा।।
देहरादून उत्तराखंड ।।

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त्रिया चरित्र,प्रियां।
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अब कोई नारी दब कर न.रहेगी।।
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त्रिया चरित्र की प्रिया।।

18 December 2022
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आज उसने अभी तक रोटी नही बनाई, पांच ही तो बजे हैं अभी ज्यादा समय थोडा ही हुआ हैं भाई।। फिर मना करने पर जब पति ने खुद बना मां बेटे को दी खिलाई, तो अपनी नही बना सकता था, कहा थी कोई&nbsp

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आजाद या महज ख्वाब।

23 February 2024
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उसने उसको बंद पिंजरे से निकाल, ऐसा खुला समंदर दिखाया, जिसका कोई आसमां तक न था,था तो खुलापन काफी ,बेहद काफी, पर टुकड़ा जमीं का जरा पास तक न था।।वो खुश तो थी बहुत आकर पिंजरे से बाहर, पर

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साजिश ए इश्क।

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