कविता कोई क्षितिज पर भी लिखा करो
क्षितिज तुम्हारी कविता कहां है
भंवरों का गुंजन है पर
मधुवन का वो फूल किधर है
जिसे कहते हैं जीवन का राग
वो सुधा कहा है
क्षितिज तुम्हारी कविता कहां है
दो खण्डों में बांट दिया
एक का नाम क्षिति एक का क्षितिज है
नीर की पीर समझे ऐसा वो तीर कहां है
क्षितिज तुम्हारी कविता कहां है
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)