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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-12-20

Books of सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)

सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)'s Diary

सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)'s Diary

इस पुस्तक में आप को मेरे लिखी कविताएं पढ़ने को मिलेंगी मेरे मन मस्तिष्क में आये विचारों को कविता के रूप में लिख कर पाठकों से साझा कर रहा हूं इस पुस्तक में आप को प्यार ,सपने ,देश भक्ति, आध्यात्म पर कविताएं पढ़ने को मिलेंगी और कही कही किसी कविता में आप

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सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)'s Diary

सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)'s Diary

इस पुस्तक में आप को मेरे लिखी कविताएं पढ़ने को मिलेंगी मेरे मन मस्तिष्क में आये विचारों को कविता के रूप में लिख कर पाठकों से साझा कर रहा हूं इस पुस्तक में आप को प्यार ,सपने ,देश भक्ति, आध्यात्म पर कविताएं पढ़ने को मिलेंगी और कही कही किसी कविता में आप

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खुद की खोज

खुद की खोज

यह मन में आ रहे विचारों को काव्य में पिरोया है और पाठकों को समक्ष प्रस्तुत है

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खुद की खोज

खुद की खोज

यह मन में आ रहे विचारों को काव्य में पिरोया है और पाठकों को समक्ष प्रस्तुत है

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चिंतन और अनुप्रिया

चिंतन और अनुप्रिया

प्यार का एक खुबसूरत एहसास मेरी इस कहानी में पाठकों को मिलेगा

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चिंतन और अनुप्रिया

चिंतन और अनुप्रिया

प्यार का एक खुबसूरत एहसास मेरी इस कहानी में पाठकों को मिलेगा

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बनारस की एक शाम

बनारस की एक शाम

बनारस का यात्रा वृत्तांत हैं आशा है पाठकों को पसन्द आएगी

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बनारस की एक शाम

बनारस की एक शाम

बनारस का यात्रा वृत्तांत हैं आशा है पाठकों को पसन्द आएगी

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Articles of सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)

खुद से मिल

11 October 2023
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हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारेंशोर करेगी हवाऐंपंछी भी क्षितिज की ओर उड़ानें भरेंगेनदियां सागर से मिलेगीमिलन के गीत गाए जाएगेओर हमको एक दिन भुला दिया जाएगातोदिल खोल के खुद से मिलबहारों से धुन चुराहवाओं

चाहता है जो वो करता क्यों नहीं

25 May 2023
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चाहता है जो वो करता क्यों नहींजो कर रहा वो भी करता क्यों नहींकरता है जो वो तू करता क्यों नहींसोचा है कभी जो हो रहा है अभीये जो रहा है वो सोचा था कभीदिल पे हाथ रख बोल दे सभीजो भी है भरा वो खोल दे कहींस

खुद अपनी खोज में

26 April 2023
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सफीना ले कर सागर की ओर जा रहा हूं मैं खुद अपनी खोज में जा रहा रहा हूंतेज बहुत तेज है सागर की ये हवाऐहो कर मस्त मलंग मैं इन के पास जा रहा हूंमैं खुद अपनी खोज में जा रहा रहा हूंजमाने के

खुद अपनी खोज में

26 April 2023
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सफीना ले कर सागर की ओर जा रहा हूं मैं खुद अपनी खोज में जा रहा रहा हूंतेज बहुत तेज है सागर की ये हवाऐहो कर मस्त मलंग मैं इन के पास जा रहा हूंमैं खुद अपनी खोज में जा रहा रहा हूंजमाने के हिसा

चिंतन और अनुप्रिया

24 March 2023
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दिन की शुरुआत में चिन्तन जहां बेहद खुश था वही शाम होते होते एक अजीब सी बैचेनी उसके मन पर हावी हो रही थी हो भी क्यो ना वो पहली बार एक ऐसी पहेली में उलझा था मस्त रहने वाला बिंदास बाते कहने वाला चिन्तन आ

जल

20 December 2022
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जल जीवन जीवन की धारा है इस धारा को घर घर पहुंचाना है लक्ष्य हम ने बस यही ठाना है हर घर जल पहुंचाना है गांव गांव ओर शहर शहर हर डगर नगर ओर बस्ती में पहुंचाने का संकल्प लिया

मुझ को कोई ये बताए क्या यही प्यार होता है

3 November 2022
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हर बात में अब तुम्हारी बात शामिल हर जिक्र में अब तुम्हारा जिक्र होता है मुझ को कोई ये बताए क्या यही प्यार होता है ? हर लम्हा अब मेरा हो मानो उसी के खातिर मुझ को बस जीना उसी के खातिर उस की एक

रत जगे

3 November 2022
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रत जगे हो गये सोए ना रात भर इश्क मुक्कमल हुआ तुम मिले इस कदर चान्द तारो की बाते करते रहे देखकर हम तुम्हे यु ही रात भर हे कहा अब हमे खबर इस जन्हा की पूरा जन्हा सिमट सा गया निगाह में आपकी तुमन

जिन्दगी तुझ को गले लगाना चाहता हूँ

3 November 2022
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जिन्दगी तुझ को गले लगाना चाहता हूँ तुझे मैं सब कुछ बतलाना चाहता हूँ कितने पलो को जिया जी भर के मैं तुझे सब कहना चाहता हूँ तूने जो फर्श से अर्श तक लाई है मैं वो सफर गुनगुनाना चाहता हूँ कभी मौसम त

छोर

3 November 2022
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एक छोर पर तुम खडे , एक छोर पर हम खडे, समय का पहिया बस चले कुछ बाते कुछ सौगाते कुछ यादे कुछ गाते पल बडे एक छोर पर तुम खडे , एक छोर पर हम खडे,सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)