shabd-logo

खुद अपनी खोज में

26 April 2023

56 Viewed 56
 सफीना ले कर सागर की ओर जा रहा हूं 
मैं खुद अपनी खोज में जा रहा रहा हूं
तेज बहुत तेज है सागर की ये हवाऐ
हो कर मस्त मलंग मैं इन के पास जा रहा हूं
मैं खुद अपनी खोज में जा रहा रहा हूं
जमाने के हिसाब ने 
बहुत हिसाब- किताब बिगाड़ा है
मैं अब अपने दिल की सुनने जा रहा हूं 
तौर तरीके सब रखो अपने पास
मैं नियमो को तोड़ने जा रहा हूं
बन्द है कई सालों से दिल की आवाज 
मैं अब उसको सुनने जा रहा हूं
मैं खुद अपनी खोज में जा रहा रहा हूं
 सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)
2
Articles
खुद की खोज
0.0
यह मन में आ रहे विचारों को काव्य में पिरोया है और पाठकों को समक्ष प्रस्तुत है