हर बात में अब तुम्हारी बात शामिल
हर जिक्र में अब तुम्हारा जिक्र होता है
मुझ को कोई ये बताए क्या यही प्यार होता है ?
हर लम्हा अब मेरा हो मानो उसी के खातिर
मुझ को बस जीना उसी के खातिर
उस की एक मुस्कान के खातिर
सब कुछ कर जाने का दिल होता है
मुझ को कोई ये बताए क्या यही प्यार होता है ...?
हर लब्ज मैं हो उसके जैसे कोई जादूगरी
उसकी आंखो मै जैसे जिन्दा हो ख्वाब कई
उस के साथ रहू तो लगता है
जिन्दगी हो मुकम्मल ये मेरी
मुझ को कोई ये बताए क्या यही प्यार होता है ..?
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)