सच होता है कड़वा, हकीकत में।
सच की मिलती सजा है, हकीकत में।।
सच होता है कड़वा---------------------।।
बेच क्यों देते हैं लोग, सच को ऐसे।
करने को मौज आराम, लेकर पैसे।।
शर्म आती नहीं क्यों, करते ऐसा।
सच से डरते हैं लोग,हकीकत में।।
सच होता है कड़वा----------------।।
नहीं है जिन्दा ईमान, लोगों में अब यहाँ।
झूठ- फरेबी का धंधा, बढ़ रहा है यहाँ।।
राजनीति का हथियार भी, झूठ है।
सच के दुश्मन बहुत है, हकीकत में।।
सच होता है कड़वा-------------------।।
मुसीबत में वतन है, बदली है फिजा।
नहीं चैनो- अमन है, फैली है खिजा।।
नहीं करो ऐसे बर्बाद, वतन झूठ पर।
सत्यम शिवम सुंदरम, हकीकत में।।
सच होता है कड़वा------------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847