अध्यापक , राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, नांदिया, तहसील- पिण्डवाड़ा, जिला- सिरोही(राजस्थान)
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यह क्या किया तुमने, अपनी हकीकत छुपाकर।बताया क्यों नहीं पहले, सच को पर्दा हटाकर।।यह क्या किया तुमने----------------।।तुमको छुआ है हमसे पहले, और किसी ने कभी।दिखाया क्यों नहीं पहले, दीवाना अपना मिलाकर।।य
करना धनवर्षा उस घर तू भगवान।जिस घर में हो मुफलिस इंसान।।करना आबाद उनको भी धन से।जिस घर में हो यतीम इंसान।।करना धनवर्षा उस घर------------------।।उन लोगों को सद्बुद्धि देना।व्यर्थ कामों में धन जो लुटाते
सच होता है कड़वा, हकीकत में।सच की मिलती सजा है, हकीकत में।।सच होता है कड़वा---------------------।।बेच क्यों देते हैं लोग, सच को ऐसे।करने को मौज आराम, लेकर पैसे।।शर्म आती नहीं क्यों, करते ऐसा।सच से डरते
क्या होता है पिता, यह अहसास होता है तब।बनता है जब कोई पिता, अनाथ कोई होता है जब ।।क्या होता है पिता------------------।।रहकर मुफलिसी में पिता, बच्चों को भूखे नहीं रखता।छुपा लेता है अपने दर्द और आँसू, ख
अपने किसी पद का तू ,मत कर इतना गुमान।अपने किसी पद पर तू , सबका कर तू सम्मान।।पद के अभिमान में तू ,मत भूल इंसानियत।पद पर करके लालच,मत बेच अपना ईमान।।अपने किसी पद का तू -----------------------।।हो जा कु
मुझसा प्यार नहीं मिलेगा, मुझसा यार नहीं मिलेगा।तेरे सहकर भी सितम जो,इतना प्यार तुमसे करेगा।।मुझसा प्यार नहीं मिलेगा-----------------।।ना कभी फिक्र की,अपनी जिंदगी की खुशी की।जो दुहा करता रहा , हमेशा ते
तेरी डोली से भी बेहतर, जनाजा मेरा होगा।तू नहीं तो क्या हुआ,पूरा शहर शामिल होगा।।तेरी डोली से भी बेहतर--------------------------।।लगेगी जिस दिन मेहंदी, इन हाथों में तेरे।सजेगा जिस दिन गजरा, इन बालों मे