रंगभूमि
शहर अमीरों के रहने की जगह है और क्रय विक्रय का स्थान है।
उसके बाहर की भूमि उसके मनोरंजन और विनोद की जगह है।
उसके मध्य भाग में उनके लड़कों की पाठशालाएं और उसके मुकदमेबाजों के अखाड़े होते हैं,जहां न्याय के बहाने गरीबों का गला घोंटा जाता है।
शहर के आस पास गरीबों की बस्तियां होती है।
बनारस में पांडेपुर ऐसी ही बस्ती है।
वहां न शहरी दीपकों की ज्योति पहुंचती है, न शहरी छिड़काव की छींटें,न शहरी जल स्त्रोतों का प्रवाह।
सड़क के किनारे छोटे छोटे हलवाइयों को दुकानें हैं और उसके पीछे कई गाड़ीवान,ग्वाले और मजदूर रहते हैं।
दो चार घर बिगड़े सफेदपोशों के भी हैं,जिन्हें उनकी हीनावस्था ने शहर से निर्वासित कर दिया है।