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रंगभूमि
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एक चिड़िया जब अपना प्रतिबिंब,कांच की खिड़की में देखती है,अपने इस प्रतिबिंब को देखकर,वह चिड़िया,ज्यों ही,कांच की खिड़की में चोंच मारती है,तो कांच से,चिड़िया के चोंच मारने की,आवाज आने लगती है,फिर चिड़िय
मनु भंडारीकानपुरसामने आंगन में फैली हुई धूप सिमटकर दीवारों पर चढ़ गई और कंधे पर बस्ता लटकाए नन्हें नन्हें बच्चों के झुंड के झुंड दिखाई दिए, तो एकाएक ही मुझे समय का आभास हुआ।घंटा भर हो गया यहां खड़े खड
रंगभूमिइन्हीं में एक गरीब और अंधा चमार रहता है,जिसे लोग सूरदास कहते हैं।भारतवर्ष में अंधे आदमियों के लिए न नाम की जरूरत होनी है,न काम की।सूरदास उनका बना बनाया नाम है,और भीख मांगना बना बनाय
रंगभूमिशहर अमीरों के रहने की जगह है और क्रय विक्रय का स्थान है।उसके बाहर की भूमि उसके मनोरंजन और विनोद की जगह है।उसके मध्य भाग में उनके लड़कों की पाठशालाएं और उसके मुकदमेबाजों के अखाड़े होते हैं,जहां