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रंगभूमि

9 February 2023

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रंगभूमि
इन्हीं में एक गरीब और अंधा चमार रहता है,जिसे लोग सूरदास कहते हैं।
भारतवर्ष  में अंधे आदमियों  के लिए न नाम की जरूरत होनी है,न काम की।
सूरदास उनका बना बनाया नाम है,और भीख मांगना बना बनाया काम है।
उनके गुण और स्वभाव भी जगत प्रसिद्ध है।
गाने बजाने में विशेष रुचि, हृदय में विशेष अनुराग अध्यात्म और भक्ति में विशेष प्रेम,उनके स्वाभाविक लक्षण हैं।
बाह्य दृष्टि बंद और अंतर्दृष्टि खुली हुई।
प्रस्तुत अवतरण सर्व श्रेष्ठ कहानीकार एवम उपन्यास सम्राट स्वनाम धन्य मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित उनके वृहद्काय उपन्यास रंगभूमि से अवतरित है।
इस उपन्यास में उपन्यासकार ने पहली बार देशी रियासतों की बिगड़ी स्थिति, राजाओं के अन्याय और अत्याचार, किसानों की दयनीय अवस्था तथा पूंजीवाद के आगमन और पूंजीवाद पद्धति के दोषों को प्रकट किया है।
उपन्यास की आरंभिक पंक्तियों में लेखक ने उपन्यास के प्रमुख स्थल पांडेपुर एवम उपन्यास के नायक सूरदास का परिचय दिया है।
लेखक शहरों पर लिखता है की शहर अमीरों के रहनेवके लिए बने हैं।
शहर में गांव की अपेक्षा महंगाई होती है।
वहां अधिकतर सुविधा भोगी वर्ग ही रहता है।
शहर के बाहर की जमीन उनके आमोद प्रमोद मनोरंजन आदि के लिए होती है।
जहां उनके बच्चे खेल कूद करते हैं।
उसके बीच में उनके लड़कों की पाठशालाएं और उनके मुकदमों की सुनवाई हेतु न्यालय होते हैं।
वास्तव में इन न्यालय में न्याय के बहाने गरीबों का शोषण किया जाता है।

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Monika's Diary
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रंगभूमि
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रंगभूमि

8 February 2023
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रंगभूमिशहर अमीरों के रहने की जगह है और क्रय विक्रय का स्थान है।उसके बाहर की भूमि उसके मनोरंजन और विनोद की जगह है।उसके मध्य भाग में उनके लड़कों की पाठशालाएं और उसके मुकदमेबाजों के अखाड़े होते हैं,जहां

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रंगभूमि

9 February 2023
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यही सच है

24 February 2023
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मनु भंडारीकानपुरसामने आंगन में फैली हुई धूप सिमटकर दीवारों पर चढ़ गई और कंधे पर बस्ता लटकाए नन्हें नन्हें बच्चों के झुंड के झुंड दिखाई दिए, तो एकाएक ही मुझे समय का आभास हुआ।घंटा भर हो गया यहां खड़े खड

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एक चिड़िया

18 March 2023
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एक चिड़िया जब अपना प्रतिबिंब,कांच की खिड़की में देखती है,अपने इस प्रतिबिंब को देखकर,वह चिड़िया,ज्यों ही,कांच की खिड़की में चोंच मारती है,तो कांच से,चिड़िया के चोंच मारने की,आवाज आने लगती है,फिर चिड़िय

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