shabd-logo

यादगार खिरनीबाग का दशहरा मेला

21 October 2022

7 Viewed 7
शारदीय नवरात्रि वर्ष के सर्वश्रेष्ठ दिवस।
दो-दो ऋतु ओं का सुखद मिलन, हर तरफ उत्सव का हर्षोल्लास नवरात्रि में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की स्तुति के साथ वातावरण को भक्तिमय करता जगह जगह रामचरित्र का गुणगान करती रामलीलाओं का सुखद मंचन इस भक्ति में वातावरण में लिप्त भारतीय संस्कृति ,ऐसा लगता है अपने चिर यौवन के पूर्ण श्रृंगार को धारण करते हुयी सुशोभित हो रही हो ,
बहुत याद आता है शाहजहांपुर नगर का खिरनी बाग मोहल्ला जो स्वतंत्रता सेनानी रहे राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म स्थल है ,उस पवित्र भूमि पर मेरा बचपन सौहार्द में पगा है ,
रामलीला के दिनों में खिरनी बाग पूर्ण रूप से उल्लसित होता है ,वहां का विख्यात कालीबाड़ी मंदिर मां दुर्गा के स्वरूप की प्रतिमाओं से सुसज्जित होता है रात दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन चलता है मां का प्रसाद ग्रहण करने के लिए भक्तों की प्रतीक्षा और सामूहिक भोजन का आयोजन भक्ति रस का अमूल सौंदर्य है भक्तों की भीड़ में हर भक्त में असुरक्षा की भावना का लेश मात्र भी नहीं होता ,बाहर सड़क पर दोनों और सजा तरह तरह के खेल खिलौने रंग बिरंगी चीजों से सुसज्जित मिट्टी के छोटे-छोटे सुंदर खिलौने और मूर्तियां बल्ब की रोशनी में मनमोहक छटा बिखेरते नजर आते हैं ।कालीबाड़ी की सड़क के दोनों ओर मनमोहक बाजार हर किसी को आकर्षित करते हुए हमको रामलीला मैदान तक ले जाते हैं सड़क के छोर पर दोनों ओर एक एक मैदान है एक में रामलीला का मंचन होता है दूसरे में नुमाइश झूले व गहरे होते हैं छोटे-छोटे बच्चे भी रामलीला के मंचन को ध्यान से देख आनंदित होते हैं बड़े बूढ़े सब लोग उस मेले के साक्षी बने वातावरण को सुखद बनाते हैं ऐसा लगता है की आनंद में डूबे सब भक्तजन एक ही परिवार के सदस्य हैं बचपन में नहीं सुना कि मेले में किसी का बच्चा गुम हो गया या किसी को किसी ने ठग लिया एक दूसरे की परवाह करते लोग नजर आते चाट टिक्की के ठेले भीड़ से भरे होने पर भी सब की डिमांड पूरी करते धूल मिट्टी उड़ती पर किसी के मुंह से प्रदूषण जैसा शब्द नहीं सुनाई पड़ता था सड़क किनारे बिकती चाट टिक्की गोलगप्पे किसी का हाजमा  नहीं खराब करते आजकल जो एसिडिटी का नाम जो हर गली मोहल्ले में जपा जाने वाला शब्द है वह शब्द कम सुनाई पड़ता, मेले में बिकने वाला साधारण धुले गिलास में पानी किसी को इंफेक्शन ना देता ,मेले में  सभी लोग एक ही रंग में रंग होते वह रंग होता हर्षोल्लास का ।
आपस में अनजान बच्चे भी बच्चों की टोली में शामिल हो उस टोली का  अभिन्न हिस्सा बन जाते आपस में खेलते कुदते शरारती बच्चों का ध्यान रामलीला के पात्रों के अभिनय और वार्तालाप पर भी होता क्योंकि घर आकर रामलीला जो करनी होती थी एक एक डायलॉग बच्चों की आवाज में घुला होता,नाजाने कितनी स्मृतियां बटोर लाते बच्चे और हम सब लोग,
मेले का सबसे मनोहारी दृश्य याद करने में अद्भुत आनंद की अनुभूति हो रही है हम भी उसी टाइप के बच्चे रहे, लोग क्या कहेंगे इस वाक्य को हम अपनी स्मृतियों में नहीं पालते थे। हर खेल खिलौने की दुकान पर बच्चों का फरमाइशी प्रोग्राम होता यह भी चाहिए और वह भी चाहिए और आगे दिलाने की बात कह बच्चों को खींच खींचकर आगे बढ़ाना बहुत ही  मनोहारी दृश्य वाला होता और किसी चीज के मिल जाने पर बच्चा जो आनंद का  अनुभव कर अपने चेहरे पर मुस्कान लाता, उसका खिला चेहरा सबके चेहरे को खुश कर देता। बहुत से बच्चे तो एक लिस्ट बनाकर दशहरे के मेले का इंतजार करते ,
गुब्बारे पर निशाना लगाने में बड़े-बड़े लोगों को बच्चा बनते देखा है दशहरे के मेले का सबसे मुख्य आइटम भोंपू और पुंगी भी होता ,मेले से अगर यह ना  खरीदा तो फिर क्या खरीदा घर वापसी में रास्ते भर बजाते हुए घर ना आए तो सारे मेले का आनंद फीका ,मेला देखने को पूरा शहर पैदल चलता मेले की ,ओर मेला देखने का उत्साह पैरों में ग्रीस का काम करता बालक बूढ़े किसी के पैर न दुखते ,
घर बार सब राम भरोसे छोड़ निकल पड़ते और रामभरोसे घरों की सुरक्षा राम जी करते और सब के घर सुरक्षित मोहल्ला पड़ोस इकट्ठा होकर निकलता  12:00 बजे तक भोंपू को बजाते हुए का विजय का उद्घोष करते आते ना किसी का डर ना किसी की रोक चले आ रहे हैं विजेता बनकर और फिर छोटे बच्चों का मेला वर्णन महीनों चलता है शाहजहांपुर में दो अलग-अलग जगहों पर रामलीला मैदान है एक खिरनीबाग में और दूसरी फैक्ट्री ग्राउन्ड में दोनों रामलीला की कमेटियों का समझौता है पहले दिन दशहरा  में रावण का दहन खिरनी बाग में होता है और दूसरे दिन फैक्ट्री ग्राउंड में रावण का दहन होता है  फैक्ट्री ग्राउंड में मेले का विस्तार अधिक होता है बड़े-बड़े झूले सर्कस शो वगैरह सब होता है और भीड़ भी ज्यादा होती है ग्राउंड के चारों तरफ की सड़कों पर बाजार पसरा रहता है जिस पर तरह-तरह की दैनिक सामग्रियां रंग-बिरंगे मिट्टी के खिलौने सजी दुकानें भीड़ का आकर्षण का केंद्र होती है दशहरे का प्रसाद अधिकतर बाहर ही मिलता है तरह-तरह डिजाइन के चीनी के गट्टे मुंह में अप्रतिम स्वाद खोल देते हैं ऐसे के दशहरे के प्रसाद में लईया और गट्टों का खास महत्व होता है वापसी में सबलोग प्रसाद जरूर लाते हैं और रास्ते पर  मौज मस्ती करते हुए आते हैं  सड़कों किनारे बिकते हुए बड़े-बड़े पापड़ भी लोग खरीद कर रस्ते में आपस में बांटते हुए खाते आते ।
आजकल पीवीआर में  खरीदे हुए पॉपकॉर्न शायद उस पापड़  का स्वाद ना चुरा पाएं,  अद्भुत मेला आज तक  अपनी स्मृति को हमारी स्मृति से कभी भी अलग नहीं कर सकता ।

जया शर्मा 

More Books by Motivational Stories by

1

गांधी व्यक्ति नहीं एक विचारधारा

1 October 2022
0
0
0

गांधी एक व्यक्ति का नाम न होकर एक विचारधारा का नाम है किन्तु उसे पहचान एक गांधी नाम के व्यक्ति ने दी अपने देश को गुलामी के चक्रव्यूह से मुक्त कराने के लिए एक अभिमन्युः की नहीं बल्कि भिन्न भिन्न मानसिक

2

गांधी व्यक्ति नहीं एक विचारधारा

1 October 2022
0
0
0

गांधी एक व्यक्ति का नाम न होकर एक विचारधारा का नाम है किन्तु उसे पहचान एक गांधी नाम के व्यक्ति ने दी अपने देश को गुलामी के चक्रव्यूह से मुक्त कराने के लिए एक अभिमन्युः की नहीं बल्कि भिन्न भिन्न मानसिक

3

यादगार खिरनीबाग का दशहरा मेला

21 October 2022
0
0
0

शारदीय नवरात्रि वर्ष के सर्वश्रेष्ठ दिवस।दो-दो ऋतु ओं का सुखद मिलन, हर तरफ उत्सव का हर्षोल्लास नवरात्रि में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की स्तुति के साथ वातावरण को भक्तिमय करता जगह जगह रामचरित्र का गुणगा

---