रात अमावस की काली
पर नगर में फैली उजियारी
दशरथनंदन के आने की
हुई पूर्ण अब तैयारी,
चारों ओर उल्लास है फैला
लग रहे हैं जैकारे
रावण का कर के संहार
राम अवध को पधारे।झूम रहे सब करते नर्तन
आज हुए हैं प्रभु के दर्शन
जैसे भी थे सब दौड़े आये
किसी ने देखा नहीं है दर्पण,
चौदह बरस हैं बीत गए
अपने प्रभु को निहारे
रावण का कर के संहार
राम अवध को पधारे।
बचपन निकला गुरुकुल में
यौवन में वनवास मिला,
ऐसी स्थिति में सब जन पहुंचे
जैसे मरते को श्वास मिला,
भक्ति भाव से अब हर कोई
जय श्री राम पुकारे
रावण का कर के संहार
राम अवध को पधारे।
एक ओर हैं लक्ष्मण भाई
दूजी ओर हैं सीता माता
अभी भी न जो देखने पाया
वो व्याकुल होता जाता,
आकर हैं उन्होंने थाम लिया
अब तक थे हम बेचारे
रावण का कर के संहार
राम अवध को पधारे।
देख-देख कर हर्षित होते
राम का यूँ सम्मान
राम नाम है जपते जाते
राम भक्त हनुमान,
उनकी शरण में जो भी रहता
उसका क्या कोई बिगाड़े
रावण का कर के संहार
राम अवध को पधारे।
धन्य हुयी है धरा अवध की
दीपों की सजी है माला
अंधकार है दूर हुआ
कुछ ऐसा हुआ उजाला,
इनकी ही कृपा से जग ये चलता
ये ही हैं सबके सहारे
रावण का कर के संहार
राम अवध को पधारे।
चारों ओर उल्लास है फैला
लग रहे हैं जैकारे
रावण का कर के संहार
राम अवध को पधारे।