Home Meaning जावा और सुमात्रा का कस्तूरी मृग
Meaning of जावा और सुमात्रा का कस्तूरी मृग in English A very small chevrotain (Tragulus Javanicus), native of Java. It is about the size of a hare, and is noted for its agility in leaping. Called also Java musk deer, pygmy musk deer, and deerlet. Meaning of जावा और सुमात्रा का कस्तूरी मृग in English English usage of जावा और सुमात्रा का कस्तूरी मृग Synonyms of ‘जावा और सुमात्रा का कस्तूरी मृग’ Antonyms of ‘जावा और सुमात्रा का कस्तूरी मृग’ Articles Related to ‘जावा और सुमात्रा का कस्तूरी मृग’ उफ़ बेचारा... कड़कती बिजलियां... रूहों का मेला... मौत की दुआ... मुर्दों की आवाज़... राधे कृष्ण विशेष दिवस गेम ओवर... हर रातों को पूनम कह दूँ श्री राम हारे हुए को और क्या हरा ओगे आप और हम जीवन Futuristic मुश्किल और मंजिल शातिर दुनिया वो सर्द रात- 4 कविता किसी का दिल मत तोड़ना सैलानियों का स्वर्ग काश्मीर सरकारी नौकरी दोहे- दर्शन
चम्मच #कर्म और भाग्य -- हैप्पी लोहडी रहस्यमय द्वीप भाग 1 शांत और ठण्डी राख़ - दिनकर से प्रेरित रचना Biggest democracy Rama is superior of all प्रकृति और तुम जीवन मतभेद और मनभेद रेलयात्रा धूप की उम्मीद कुछ कम सी है बेफिक्री बिहार का गौरवशाली इतिहास दूरियों का खूंटा जीवन की गति भाग-4 "जानती थी वो " अपनी पतंग कट गई ! किस्मत #डिजिटलीकरण--- प्रात काल का सौंदर्य कृष्ण छवि भारत में केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस मन में जैसा घटेगा Muskil Ishq सुनो एयर इंडिया की एयरबस के साथ डील माँ blessings गुरु शिष्य सवाल हकीकत मत कहो दिल निशब्द इश्क़, बेरोज़गारी और जज़्बात त्रासदी truth ( Ridveda 1. 1. 8 ) Power of Vote मिज़ाज़ चांद और तारे never trouble a poor धन और रिश्ता अनुभव साजिश ए इश्क। प्यार के प्रकार अभ्यास और रटने का सटिक मंत्र घड़ी की सुइयां चले आओ लौह पुरुष वो 5 साल की बच्ची का बाल सुलभ दुस्साहस हमारा दिल "आलिंगन परिवर्तन: व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास की कुंजी" इसरो का आदित्य वक्त का बदलना रंगभूमि एक कप चाय "'"🧑🍳 मूंग दाल के चिले की सब्जी ""🫕 मेरी प्यारी संजना नवीन धाराओं का सृजन आग बवासीर भी बनाती है और तकदीर भी,मायने रखती है वो लगी कहां है लॉकडाउन में पड़ोसन टीचर को चोदा- 2 धार्मिक अज्ञान '"' सुझाव किचन से 🫕 वीर अभिमन्यु वध वो एक गुलाबजामुन की कसक -42 वर्षों से Ek Ladki Ki Kahani मोक्ष भूखे लकड़बग्घे- 2 भारत में डाक टिकट मेरे प्रथम शिक्षक अपनी बातों को ही मनवाया करता हूँ क्या आप भी क्लियर करेंगे एग्जाम "भाषाई विविधता का संरक्षण: अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का महत्व" आलस्य हमारे शरीर में विराजमान एक महा शत्रु है Writer Introduction - दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्” क्षितिज क्षितिज ही रहेगा यही सच है #poetry शीर्षक : " एक पल तो गुजारा है तूने "
चलो उम्र ना सही,
मेरा एक लम्हा तो सवारा है तूने,
वादा किए आखिरी सास तक की,
पर होते ही उड़ गए...
चलो जिंदगी का,
एक पल तो गुजारा है तूने ।
तबाह कर गया मुझको,
लब्जों मे बया भी नही कर सकता,
किया कितना खसारा है तूने,
पतझड़ का मौसम हो गयी है जिंदगी,
मेरा छीना एक - एक सहारा है तूने ।
मेरी मुश्किलें... उम्र के साथ
बढ़ती जा रही है,
कैसे कह दूँ...
दर्दों से मुझको उबारा है तूने,
जो तुम चल दिये..
अपनी यादों को भी लेकर जाते,
खुद को बसाकर...
अपने दिल से मुझको, नकारा है तूने ।
ये हवाएँ... ये फिजायें...
खुशबु नही लाती... अब...
पहले की तरह,
लगता है गुलशन को भी
बदन से उतारा है तूने,
वो लबों की मुश्कान तेरी...
ख्वाबों मे भी दिल को चिर जाती है,
जाने क्यूँ... और कैसे...
मेरी मोहब्बत को, किया किनारा है तूने ।
वफा, एहतराम.. जो कुछ भी है,
तेरे - मेरे दरमियाँ.. इश्क़ में
सारा का सारा.. हमारा है,
ऐ साथी , साथ छोड़ जाना तेरा,
हर शाम गुजारती है मयखाना मेरा,
संभलना कहीं तुझे भी
कोई छोड़ ना जाए...
किया गलत इशारा है तूने ।
वादा किये आखिरी सास तक की
पर होते ही उड़ गए,
चलो जिंदगी का....
एक पल तो गुजारा है तूने..... ।।
✍️ Author Munna Prajapati
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