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मोक्ष

26 April 2024

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मोक्ष पाना तुम्हारा अधिकार है सुख भोगने तुम्हार अधिकार है आनंद में रहना तुम्हारा अधिकार है अर्थ धर्म काम और मोक्ष अर्थ धर्म काम और मोक्ष के पुरुषार्थ करके मोक्ष पाना तुम्हारे अधिकर है तुम किसी के बंधन तुम किसी के बंधन में नहीं हो जब तक शरीर में हो जब तक सीमित हो जैसे एक समुद्र और उसे समुद्र का पानी अपने हाथ की तेली पर समुद्र अनंत है और हाथ में रखा पानी सीमित लेकिन अगर वह सीमित से परे हो जाए हाथ में ना रहे तो वह अस्मित होकर अनंत हो जाता है पूरे समुद्र में व्याप्त इसी प्रकार हम शरीर से निकलकर अनंत हो जाते हैं और पूरे संसार में समाये होते हैं और चारों पुरुषार्थ जो है वह चारों पुरुषार्थ खुद को पहचानने के लिए ही बने हैं इसलिए अंत में पुरुषार्थ में कहा है मोक्ष यानी की अर्थ धर्म काम और मोक्ष
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सनातन धर्म

26 April 2024
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हम दुनिया में देखते हैं की जितने भी लोग हैं मनुष्य हैं वह अक्सर चिंता में ही डूबे रहत रहते हैं लेकिन चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि जिस प्रकार एक राजा अपनी प्रजा को अपने पास रखता है तो उसका सारा खर्चा

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मोक्ष

26 April 2024
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मोक्ष पाना तुम्हारा अधिकार है सुख भोगने तुम्हार अधिकार है आनंद में रहना तुम्हारा अधिकार है अर्थ धर्म काम और मोक्ष अर्थ धर्म काम और मोक्ष के पुरुषार्थ करके मोक्ष पाना तुम्हारे अधिकर है तुम किसी के बंधन

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जीव का वास

27 April 2024
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जीव का वास नेत्र कठं ओर हिरदे मे है जागृत अवस्थ मे नेत्र मे ध्यान मे कठं मे सोते वक़्त हिरदे मे होता है आत्मा को जान ने के लिए मन को वश करो सदा शरीर में होने वाली घटना को समझो ओर मेहसूस करो तो समज आ ज

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गर्भ में जीव कैसे रहता है

27 April 2024
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शरीर पञ्चात्मक, पाँचोंमें वर्तमान, छः आश्रयोंवाला, छः गुणोंके योगसे युक्त, सात धातुओंसे निर्मित, तीन मलोंसे दूषित, दो योनियोंसे युक्त तथा चार प्रकारके आहारसे पोषित होता है। पञ्चात्मक कैसे है? पृथिवी,

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