ओम गुरु कृपा
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शरीर पञ्चात्मक, पाँचोंमें वर्तमान, छः आश्रयोंवाला, छः गुणोंके योगसे युक्त, सात धातुओंसे निर्मित, तीन मलोंसे दूषित, दो योनियोंसे युक्त तथा चार प्रकारके आहारसे पोषित होता है। पञ्चात्मक कैसे है? पृथिवी,
जीव का वास नेत्र कठं ओर हिरदे मे है जागृत अवस्थ मे नेत्र मे ध्यान मे कठं मे सोते वक़्त हिरदे मे होता है आत्मा को जान ने के लिए मन को वश करो सदा शरीर में होने वाली घटना को समझो ओर मेहसूस करो तो समज आ ज
मोक्ष पाना तुम्हारा अधिकार है सुख भोगने तुम्हार अधिकार है आनंद में रहना तुम्हारा अधिकार है अर्थ धर्म काम और मोक्ष अर्थ धर्म काम और मोक्ष के पुरुषार्थ करके मोक्ष पाना तुम्हारे अधिकर है तुम किसी के बंधन
हम दुनिया में देखते हैं की जितने भी लोग हैं मनुष्य हैं वह अक्सर चिंता में ही डूबे रहत रहते हैं लेकिन चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि जिस प्रकार एक राजा अपनी प्रजा को अपने पास रखता है तो उसका सारा खर्चा