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हकीकत

6 December 2022

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 "हर एक शख्स की खामोशी को समझ रहे हैं हम, और छिपे दो नकाब उनके चहरे पर पहचान रहे हैं हम, और वो अच्छे बने रहे परायों के सामने  हमे कोई गिला नहीं, मगर आएंगे वो नजर कभी, बखुवी हमें तो चेहरे वही अंगिनत नकब वाले ही याद आएंगे"।  .