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हकीकत

Sonu ahirwar

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जमाना वेशुमार है कितना , कि जमाना था एक वो जब नजरे ये बच्चे गुरु को शीश झुकाते थे , हाय ये जमाना कितना बदल गया , कि मुकाबले बच्चो के , कि समझ नहीं रहे ये प्यारे प्यारे बच्चे टीचर को ,की छोड़ो यारो समझना तो दूर की बात है। कि टीचर पढ़ाने लगी है डर डर कि शिकायत न पहुंचे मेरी अभिभावक तक अगर पहुंची शिकायत मेरी अभिभावक तक तो आजाएंगे ये जमाना काफिला लेकर बच्चे कि शिकायत पर और वो जमाना था जो जाचुका अब डरा धमका रहे स्टूडेंट टीचर को अब नई सोच और नए जमाने के साथ जी रहे है लोग यहां गलती भलेही अपने लड़के की हो ,लेकिन बड़े इत्मीनान से है डराना धमकाना सामने वाले को , तो क्यू ना शिकायत खुद से की जाए और बदल दे सारे जहा को अपने और हो जाए भारत देश पवित्र नदी समान हो पहले जैसा' 

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