shabd-logo

मेरे प्रथम शिक्षक

4 September 2024

13 Viewed 13
 कल शिक्षक दिवस है | सभी अपने अपने शिक्षकों के लिए श्रद्धा सुमन समर्पित कर रहे हैं | हमारी भी विनम्र श्रद्धांजलि है उस व्यक्तित्व को जो माँ और पिताजी के बाद हमारे प्रथम शिक्षक बने | हमारी शिक्षा हिन्दी माध्यम के विद्यालय में हुई है | विषय अंग्रेजी सहित सभी पढाए जाते थे | अबसे लगभग 66-67 बरस पूर्व भी यदि बच्चे के साठ प्रतिशत अंक आ जाते थे तो मिठाई बाँटी जाती थी – बच्चा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ है | और यदि एक या अधिक विषयों में 75 प्रतिशत अंक आ गए तब तो ख़ुशी दूनी चौगुनी हो जाया करती थी – बच्चे को डिस्टिंक्शन – विशेष योग्यता – मिली है | हमारे विद्यालय में शायद ही कोई छात्र अथवा छात्रा अनुत्तीर्ण रहते होंगे बोर्ड की परीक्षाओं में और इसीलिए उत्तर प्रदेश बोर्ड की ओर से हमारे विद्यालय को कई बार पुरुस्कृत भी किया गया था | इसीलिए बच्चों के एडमीशन के समय सावधानी बरती जाती थी | लिहाज़ा स्कूल में एडमीशन के लिए भेजने से पहले बच्चों के माता पिता उन्हें काफ़ी कुछ तैयार करा देते थे |

हमारी माँ ने भी हमें काफ़ी कुछ याद करा रखा था – जैसे ए से एप्पल, बी से बॉल या फिर अ से अनार आ से आम | साथ में गिनतियाँ भी अच्छी तरह रटा रखी थीं | अक्षरों और गिनतियों को पुस्तक में पढ़ना भी सिखा दिया था | कई सारी बच्चों की कविताएँ और कहानियाँ भी खेल खेल में रटा दी थीं | यहाँ तक कि घर में कोई मेहमान आता तो उसके सामने हमें प्रस्तुत किया जाता “पूनम बेटा वो सुनाओ – मछली जल की रानी है…” आदि आदि, और हम शुरू हो जाते | पर जब कॉपी और क़लम दवात रखकर लिखना सिखाने की कोशिश करती थीं तो हमारे हाथ दुखने लग जाते थे | कारण था कि लिखना नहीं चाहते थे | काफ़ी दिनों तक तो स्कूल में भी यही हाल रहा | अध्यापक कुछ लिखने के लिए बोलते तो हमारा जवाब होता “आप सुन लीजिये, हमें सब याद है | हाथ में दर्द है इसलिए लिख नहीं पाएँगे |” और तोते की तरह खटाखट सब सुना देते थे | पिताजी के पास शिक़ायत पहुँचती तो वे हँस कर टाल देते थे | पर माँ को गुस्सा आता था |
खैर, तो बात चल रही थी लिखना सीखने की | जब हमें लिखना सिखाने में माँ को सफलता नहीं मिली तो पिताजी से कहा गया | उनका वही सदा के जैसा उत्तर था “अरी भाग्यवान मास्टरनी जी, स्कूल जाएगी तो सब सीख जाएगी, अभी क्यों इसे तंग करने में लगी हो…” और अपनी लाडली को गोद में उठा प्यार से पुचकारने लगते | माँ बेचारी मन मसोस कर रह जातीं | आख़िर उन्होंने अपने आप ही पण्डित यज्ञदत्त जी से बात कर ली कि वे हमें ट्यूशन पढ़ाएँगे और जो काम माँ नहीं कर पा रही हैं – हमें लिखना सिखाने का – वो पण्डित जी पूरा करेंगे |

मुहल्ले के बच्चों को पता चला तो बड़े बच्चों ने डराना शुरू कर दिया “अरे पण्डित यज्ञदत्त जी तो बड़ी सख्ती से पढ़ाते हैं | यहाँ तक कि अगर ज़रा सी भी ग़लती हो जाए तो छड़ी से पीटते भी हैं |” हम परेशान | तीन साल के बच्चे से और क्या आशा की जा सकती थी | हमने माँ पिताजी से कहा तो सुनकर माँ तो धोती का पल्ला मुँह में दबाकर हौले से हँस दीं, और पिताजी ने गोद में उठाकर समझाया “अरे नहीं बेटा, वो तो बच्चों से बड़ा प्यार करते हैं | इतनी बार तो आप मिल चुकी हो उनसे | ये पप्पू मोहन तो यों ही आपको डरा रहे हैं | हम समझाएँगे इन बच्चों को…”

खैर जी, अच्छा सा मुहूर्त देखकर पण्डित यज्ञदत्त जी को बुलाया गया | उनके आने से पहले ही हमें हमारी छोटी से कुर्सी पर बैठा दिया गया था और सामने हमारी छुटकी मेज़ पर कॉपी और क़लम दवात रख दिए गए थे | पण्डित जी आए | शहर में उनका अच्छा ख़ासा सम्मान था जो उनके व्यक्तित्व और वेशभूषा में स्पष्ट दीख पड़ता था | कलफ किया हुआ सफ़ेद खद्दर का धोती कुरता और उस पर एक भूरे रंग की बंडी पहने और सर पर टोपी लगाए पतले दुबले छरहरे कसरती गठे बदन वाले श्यामल वर्ण पण्डित जी | पूजा पाठी कर्मकाण्डी ब्राह्मण थे सो मस्तक पर केसर चन्दन का तिलक भी लगाया हुआ था | बंडी की ऊपर की ज़ेब से एक सफ़ेद तिकोना रुमाल भी झाँक रहा था | हाथ में एक डंडा भी था | वो अक्सर उस डंडे को अपने साथ रखते थे ये बात हम जानते थे, पर उस दिन हमें लगा वो डंडा हमारी पिटाई के लिए लाया गया था | हमने परेशान हो पिताजी की तरफ़ देखा | उन्हें बात समझ आई तो पण्डित जी को सारी बात बताई और पण्डित जी ज़ोर से हँस पड़े “अरे नहीं बिटिया, ये डंडा तो उन पप्पू, मोहन और अनिल जैसे शरारती लौंडों के लिए है जो जब देखो तब आपकी छत पर चढ़े आपके पेड़ से जामुन तोड़ते रहते हैं | आप तो इतनी प्यारी बच्ची, भला आपको कोई क्यों मारेगा ? लो हम इसे बाहर दहलीज़ में रख आते हैं…” और उन्होंने दहलीज़ के एक कोने में डंडे को छोड़ दिया और ख़ुद आकार हमारी छुटकी मेज़ के दूसरी तरफ़ रखे मूढ़े पर बैठ गए | अब हमारी जान में जान आई |

पण्डित जी पढ़ाने के लिए बैठे | बैठक में पण्डित जी पढ़ा रहे थे और बैठक तथा रसोई के बीच में एक सर्विस विण्डो बनी हुई थी जिसमें से माँ मेहमानों के लिए खाने पीने का सामान पकड़ाती रहती थीं | माँ रसोई में पण्डित जी के लिए नाश्ता तैयार करती उसी रसोई की खिड़की में से हम पर नज़र रखे हुए थीं |
बहरहाल, पण्डित जी ने पूछा हमें क्या क्या आता है | और हमने सारी गिनतियाँ, हिन्दी अंग्रेजी की सारी वर्णमालाएं और सारी कविताएँ वगैरा उन्हें एक के बाद बिना रुके सुना दीं | अब बारी थी पुस्तक में से पढ़ने की | वो भी हमने अच्छे से पहचान कर सब पढ़ दिया – ये अ है – अ से अनार बनता है – और ये अनार है… वगैरा वगैरा…

जब इतना सब हो चुका तो पण्डित जी ने बैठक में चारों तरफ़ नज़र दौड़ानी शुरू की | रसोई की खिड़की में से माँ ने पूछा “क्या चाहिए पण्डित जी…”
“मास्टरनी जी लल्ली की तख्ती कहाँ है…?” पण्डित जी ने पूछा |

“तख्ती ? पर मैं तो इसे कॉपी पर लिखवाने की कोशिश कर रही हूँ… तख्ती से तो इसके कपड़े और हाथ ख़राब हो जाएँगे…” माँ ने भीतर से कहा |

"अरे मास्टरनी जी आप भी न… आप जैसी समझदार महिला भी इस प्रकार की बातें करेंगी तो इन आजकल के अँगरेज़दाओं को क्या कहेंगे… आज मैं चलता हूँ, कल तख्ती और खडिया मिट्टी मंगा कर रखियेगा तभी लिखना शुरू करवाऊँगा…” और नाश्ता करके पण्डित जी उस दिन वापस लौट गए |

दूसरे दिन माँ ने तख्ती मंगा कर उसे खड़िया मिट्टी से पोत कर सुखा कर रख दिया था | पण्डित जी आए | पहले एक दवात में कोई गोली डालकर उसे घोलकर स्याही बनाई | फिर सरकंडे की क़लम लेकर ज़ेब से चाकू निकाल कर उसे बनाया और ज़मीन पर टिकाकर उसकी नोक को तिरछा काटा | उसके बाद अपनी ज़ेब से ही कोई छोटा सा पत्थर निकाला और उससे तख्ती को घिसकर चिकना किया | उसके बाद उस पर कई लकीरें खींच कर पेन्सिल से उन पर अक्षर बनाए और हमें कहा कि क़लम को दवात की स्याही में डुबाकर उन पेन्सिल से लिखे अक्षरों पर लिखें | हमें तो तख्ती और क़लम तैयार करने की पण्डित जी की सारी प्रक्रिया देखकर ही मज़ा आ रहा था | हमारे लिए वो सब एक खेल जैसा था | लिहाज़ा जब पण्डित जी ने लिखने के लिए कहा तो उन पेन्सिल से बने अक्षरों पर हम आराम से लिखते चले गए | और इस तरह हमारी लिखने की शुरुआत हुई...

पर एक बात ज़रूर कहेंगे, पण्डित यज्ञदत्त जी ने जिस तरह हमें लिखना सिखाया उसी का नतीजा था कि हमारी लिखाई इतनी ख़ूबसूरत बन गई थी कि देखने वाले कहते थे “क्या मोती से अक्षर टाँकती है गुरु जी की बेटी…” वो अलग बात है कि बाद में जल्दी जल्दी
लिखने के चक्कर में घसीट जैसी लिखाई बन गई | रही सही क़सर इस कम्पूटर ने पूरी कर दी…

बहरहाल, माँ और पिताजी को छोड़ दिया जाए तो वास्तव में ये थे हमारे सबसे पहले शिक्षक – पण्डित यज्ञदत्त जी | जैसा सुमधुर और आकर्षक व्यक्तित्व था उनका वैसा ही मधुर स्वभाव भी था | पापा ने सच ही कहा था – बच्चों पर बड़ा स्नेह रखते थे और एक मधुर मुस्कान सदा उनके मुखमंडल पर विराजमान रहा करती थी | बचपन में हमें काफ़ी कुछ पढ़ाया उन्होंने – और सब कुछ पता नहीं कब में खेल खेल में ही पढ़ा दिया | अब वे संसार में नहीं हैं, पर अपने इस प्रथम शिक्षक का स्मरण सदैव बना रहता है… श्रद्धापूर्वक नमन है पण्डित जी आपको…
----- कात्यायनीarticle-image
1

मेघों ने बांसुरी बजाई

22 July 2024
4
0
0

मेघों ने बाँसुरी बजाई, झूम उठी पुरवाई रे |बरखा जब गा उठी, प्रकृति भी दुलहिन बन शरमाई रे ||उमड़ा स्नेह गगन के मन में, बादल बन कर बरस गयाप्रेमाकुल धरती ने, नदियों की बाँहों से परस दिय

2

कविता

6 August 2024
0
0
0

कविता को समझने का हमारा एक छोटा सा प्रयास - कविता...कलाकार का रूप है कविताशब्दों का स्वरूप है कवितासतही स्तर अर्थ ही नहींअर्थों की जागृति है कविताभाषा का सौन्दर्य सहित, एक अद्भुत सा प्रयोग है कवि

3

समाना हृदयानि वः

15 August 2024
0
0
0

समाना हृदयानि वःस्वतन्त्रता – आज़ादी – व्यक्ति को जब उसके अपने ढंग से जीवंन जीने का अवसर प्राप्त होता है तो निश्चित रूप से उसका आत्मविश्वास बढ़ने के साथ ही उसमें कर्त्तव्यपरायणता की भावना भी बढ़ जाती है

4

आज़ादी का दिन फिर आया

16 August 2024
1
0
0

आज़ादी का दिन फिर आया |बड़े यत्न से करी साधना, कितने जन बलिदान हो गए |किन्तु हाय दुर्भाग्य, न जाने कहाँ सभी वरदान खो गए |आशाओं के सुमन न विकसे, पूरा हो अरमान न पाया ||१||महल सभी बन गए दुमहले, और दुमहल

5

श्री कृष्ण जन्माष्टमी

21 August 2024
0
0
0

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी - जन साधारण को कर्म, ज्ञान, भक्ति, आत्मा आदि की व्याख्या समझाने वाले युग प्रवर्तक परम पुरुष भगवान् श्री कृष्ण का जन्म महोत्सव - इस वर्ष रविवार 25 अगस्त को अर्ध रात्र्योत्तर 3:39 (

6

निज हस्त खड्ग दुर्गा का ले

22 August 2024
0
0
0

कोलकाता जैसे रोंगटे खड़े कर देने वाले कुकृत्य और उस पर पीड़िता को मिलते न्याय में देरी - वास्तव में मन को पीड़ा पहुंचाती है... मनुष्य क्यों मनुष्यता को भूल गया ?... अब तो जैसा श्री पुष्यमित्र जी ने लि

7

रुक्मिणी हरण का आध्यात्मिक पक्ष

24 August 2024
0
0
0

रुक्मिणी हरण का आध्यात्मिक पक्षअभी 26 तारीख को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व है | श्रीकृष्ण जन्म महोत्सव की बात आती है तो उनके जीवन की एक प्रमुख लीला – रुक्मिणी हरण की लीला – की चर्चा तो होगी ही

8

कृष्णत्व बहुत कठिन

25 August 2024
0
0
0

कृष्णत्व बहुत कठिन कल देश भर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव दही हांडी की परम्परा के साथ मनाया जाएगा... सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ...देश भर में श्री कृष्ण के अनेक रूपों की उपासना की जाती है | इ

9

कृष्ण कथा

26 August 2024
0
0
0

कृष्ण कथा थी रात घनी कारी अँधियारी, मेघ झूम कर बरस रहे थे ।जल थल और आकाश मिलाने हेतु ज़ोर से गरज रहे थे ||यमुना भी थी चढ़ी हुई काँधे तक, मेघों का गर्जन था ।हरेक भवन में व्याकुलता के&

10

ईश्वर का विराट अथवा विश्व स्वरूप

27 August 2024
0
0
0

ईश्वर का विराट अथवा विश्व स्वरूपपश्य मे पार्थ रूपाणि शतशोऽथ सहस्रशः ।नानाविधानि दिव्यानि नानावर्णाकृतीनि च ।।- 11/5अर्थात् हे पार्थ! अब तुम मेरे अनेक अलौकिक रूपों को देखो । मैं तुम्हें अनेक प्रकार की

11

हरतालिका तीज और वाराह जयंती

29 August 2024
0
0
0

हरतालिका तीज और वाराह जयन्तीभाद्रपद शुक्ल तृतीया यानी शुक्रवार 6 सितम्बर को हरतालिका तीज का व्रत और भगवान् विष्णु के दस अवतारों में से तृतीय अवतार वाराह अवतार की जयन्ती का पावन पर्व है | भाद्रपद मास क

12

मेरे प्रथम शिक्षक

4 September 2024
3
1
0

कल शिक्षक दिवस है | सभी अपने अपने शिक्षकों के लिए श्रद्धा सुमन समर्पित कर रहे हैं | हमारी भी विनम्र श्रद्धांजलि है उस व्यक्तित्व को जो माँ और पिताजी के बाद हमारे प्रथम शिक्षक बने | हमारी शिक्षा

13

शिक्षक दिवस

5 September 2024
0
0
0

सभी गुरुजनों को नमन के साथ शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँभारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन के जन्म दिवस “शिक्षक दिवस” की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ...हर व्यक्ति जीवन में सफल होना च

14

हरतालिका तीज

6 September 2024
0
0
0

भाद्रपद शुक्ल तृतीया यानी शुक्रवार 6 सितम्बर को हरतालिका तीज का व्रत और भगवान् विष्णु के दस अवतारों में से तृतीय अवतार वाराह अवतार की जयन्ती का पावन पर्व है | भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि

15

गणेश चतुर्थी

7 September 2024
0
0
0

आज भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि है – विघ्न विनाशक गणपति की उपासना का पर्व | सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ..लगभग समूचे देश में विघ्नहर्ता सुखकर्ता भगवान् गणेश की उपासना का पर्व गणेश चतुर्थी अ

16

हिंदी दिवस

11 September 2024
0
0
0

हममें से अधिकाँश लोगों को सम्भवतः ज्ञात होगा कि 1918 में इंदौर में आयोजित हिंदी साहित्य सम्मलेन में महात्मा गाँधी ने हिंदी को आम जनमानस की भाषा बताते हुए इसे राष्ट्रभाषा घोषित किये जाने की बात कही थी

17

श्राद्ध पक्ष में पाँच ग्रास निकालने का महत्त्व

12 September 2024
0
0
0

श्रद्धया इदं श्राद्धम्‌ – जो श्रद्धापूर्वक किया जाए वह श्राद्ध है | मंगलवार 17 सितम्बर से सोलह दिनों के लिए दिवंगत पूर्वजों के प्रति श्रद्धा का पर्व श्राद्ध पक्ष आरम्भ होने जा रहा है | वैदिक मान्यता क

18

अनन्त चतुर्दशी

13 September 2024
0
0
0

अनन्त चतुर्दशीअनंन्तसागरमहासमुद्रेमग्नान्समभ्युद्धरवासुदेव |अनंतरूपेविनियोजितात्माह्यनन्तरूपायनमोनमस्ते ||भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनन्त अर्थात जिसका कभी अन्त न हो - चतुर्दशी कहा जाता ह

---