सभी गुरुजनों को नमन के साथ शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन के जन्म दिवस “शिक्षक दिवस” की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ...
हर व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है और उसके लिए प्रयास भी करता है | लेकिन जब तक यह प्रयास – यह परिश्रम - उचित दिशा में नहीं किया जाएगा तब तक सफलता प्राप्त होने में सन्देह ही रहेगा | और यह उचित दिशा दिखाते हैं हमारे शिक्षक – हमारे गुरुजन | सबसे पहली गुरु होती है हमारी माता | उसके बाद पिता | और फिर हमारे शिक्षक | इन समस्त गुरुओं का स्थान तो ईश्वर से भी ऊँचा बताया गया है | तभी तो कबीर ने कहा है: गुरु गोबिन्द दौऊ खड़े, काके लागूँ पाँय, बलिहारी गुरु आपने जिन गोबिन्द दियो मिलाए |
तो, हमारे शिक्षक – हमारे गुरुजन – मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक हर दिशा में हमारा मार्गदर्शन करते हैं और उसी मागदर्शन से हमारी इच्छाशक्ति दृढ़ होती है, तथा किसी भी स्वप्न को साकार करने के लिए – किसी भी कार्य में सफलता के लिए “योग्य गुरु” द्वारा प्रदत्त मार्गदर्शन की ही आवश्यकता होती है |
साथ ही, व्यक्ति जीवन में प्रकृति और सृष्टि के कण कण से कुछ न कुछ सीखता है... अतः समूची प्रकृति ही हमारे लिए शिक्षक की भूमिका में होती है... हमारे आस पास का वातावरण, हमारे परिवार जन, हमारे मित्रगण - सभी से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है... अस्तु, प्रकृति रूपी शिक्षक के साथ ही सभी गुरुजनों को नमन के साथ एक बार पुनः सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जीवन के घोर अँधेरे में,
भर तुमने अमित प्रकाश दिया
हो जलद ज्ञान से भरे हुए,
तुम ज्ञान हमें सिखलाते हो…
जब भी मन में कुछ विभ्रम हो,
सन्देहों का जो डेरा हो
तुम दूर भगा सन्देह मनुज का,
मन चेतन कर जाते हो…
जब मार्ग नहीं सूझे कोई,
तुम मन का दीप जलाते हो
क्या उचित और क्या अनुचित है,
ये भेद तुम्हीं बतलाते हो…
माँ की ममता भी है तुममें,
तो पिता समान है दृढ़ता भी
और मित्रों के सम हर सुख दुःख में
साथ तुम्हीं दे जाते हो…
हो जाए कोई जो भूल, उसे
तुम निज स्नेहों से ढक देते
व्यक्तित्व प्रभावी हो अपना,
तुम इसी हेतु तत्पर रहते…
बस मात पिता और गुरुजन ही
निस्वार्थ स्नेह देते रहते
और कोमल मन के भावों को
संकल्पों से भरते रहते…
हम श्रद्धानत विनती करते,
भावों के सुमन करें अर्पण
कर्तव्य मार्ग पर डटे रहे,
आशीष हमें बस इतना दो…
----- कात्यायनी