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अपनी पतंग कट गई !

1 August 2024

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अपनी पतंग कट गई !
आया अचानक मैं छ्त के ऊपर
शीतल पवन के सुदर जखोरो में,
नन्ही- नन्हीं बुदियाँ और पक्षियों के शोरों में,
कोमल कली मेरी नजर मे आ गई
मन करे मेरा उसके उड़ने के संग में,
इतनी उड़ी मानों गई वह जू पर
जब मैं आया छ्त के ऊपर ।

श्याम जैसे अधरो पर ,
झील जैसी आखों में, 
डूब कर हमको मर जाना चाहिए
दिल में दर्द और प्यार को दिखा गई
कहता है, एक प्रेमी करना क्या चाहिए ?                                                                                                  काटने को मेरी बाली एक और प्रेमी आया !
 साथ में वो अपने पतंग और ढोरी लाया  
अपनी पतंग को खूब उसने दौडाया 
उसकी पतंग मेरी बाली ने काट दी
कोशिश  भी खूब की जिन्दा न बच पाया
सरमाती हुई बो मेरे पास आगई
सर्मा से नैन उसके नीचे को हो गये!
गिरते हुए आँसू यह बोले' हम तो तेरे हो गये


 
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अपनी पतंग कट गई
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यह मेरे द्वारा प्रस्तुत की गई प्रथम किताब है, जिसमे मैंने कविताऐं लिखि है ।