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हारे हुए को और क्या हरा ओगे

30 July 2022

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हारे हुए को और क्या हरा ओगे
तुम चाहकर भी मुझे न हासिल कर पाओगे
जिस राह पर अब मैं चली हूँ
उस राह पर तुम सिर्फ़ कांटों को भी पाओगे
मेरी मंजिल की प्यास को
तुम चाहकर भी ना भुजा पाओगे
रातों की निन्द को
मेरी तरह तुम ना उड़ा पाओगे
फूल जरुर हूँ मैं एक
लेकिन अब से मेरी हर दिशा में तुम कांटों का बसेरा पाओगे
हारे हुए को और क्या हरा ओगे||
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Anju's Diary
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This book is all about the life of a person who is trying to love someone special but that doesn't work now she is broken from inside. No one knows the pain she is hiding behind her smile.