Home Meaning चन्द्रना के देशान्तर में असमानता
Meaning of चन्द्रना के देशान्तर में असमानता in English The act of carrying up or away; exaltation. An inequality of the moon's motion is its orbit to the attraction of the sun, by which the equation of the center is diminished at the syzygies, and increased at the quadratures by about 1¡ 20'. The libration of the moon. Meaning of चन्द्रना के देशान्तर में असमानता in English English usage of चन्द्रना के देशान्तर में असमानता Synonyms of ‘चन्द्रना के देशान्तर में असमानता’ Antonyms of ‘चन्द्रना के देशान्तर में असमानता’ Articles Related to ‘चन्द्रना के देशान्तर में असमानता’ आसान किस्तों पे लोन... मिलन की घड़ी... मुर्दों की आवाज़... विशेष दिवस गेम ओवर... काली पहाड़ी की चुड़ैल... 🧑🍳 कुंदरु की चटनी 🫕 श्री राम कविता। "नन्नू के कक्का" सखा बलिदानी सिपाही मेरी कहानी मेरी जुबानी बोगेनविलिया #अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस--- शांत और ठण्डी राख़ - दिनकर से प्रेरित रचना कृष्ण छवि Love shayari.. blessings टूट गई एक कली मैं पुरखों के घर आया था चले आओ #डिजिटलीकरण--- वीर अभिमन्यु वध मेरे प्रथम शिक्षक बेटे:- पिता के राजकुमार स्वार्थ ये इश्क़ नहीं आसान लौह पुरुष वो सर्द रात- 3 कहानी अभ्यास प्रेम एक संघर्ष बिहार का गौरवशाली इतिहास जता दीजिये गुरु Evaluate to vote Judgement वो सर्द रात- 2 चमचागिरी मत कहो एक कप चाय मोक्ष बेटियाँ "भाषाई विविधता का संरक्षण: अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का महत्व" दिल नव धारायें ancestors' house आजमाईश याद आम राजा विश्वामित्र-मेनका महाशिवरात्रि उसकी अदा इंसानियत रात अमावस की काली दैनिक न्यूज एयर इंडिया की एयरबस के साथ डील वो 5 साल की बच्ची का बाल सुलभ दुस्साहस हैप्पी लोहडी शातिर दुनिया आत्मा #poetry शीर्षक : " एक पल तो गुजारा है तूने "
चलो उम्र ना सही,
मेरा एक लम्हा तो सवारा है तूने,
वादा किए आखिरी सास तक की,
पर होते ही उड़ गए...
चलो जिंदगी का,
एक पल तो गुजारा है तूने ।
तबाह कर गया मुझको,
लब्जों मे बया भी नही कर सकता,
किया कितना खसारा है तूने,
पतझड़ का मौसम हो गयी है जिंदगी,
मेरा छीना एक - एक सहारा है तूने ।
मेरी मुश्किलें... उम्र के साथ
बढ़ती जा रही है,
कैसे कह दूँ...
दर्दों से मुझको उबारा है तूने,
जो तुम चल दिये..
अपनी यादों को भी लेकर जाते,
खुद को बसाकर...
अपने दिल से मुझको, नकारा है तूने ।
ये हवाएँ... ये फिजायें...
खुशबु नही लाती... अब...
पहले की तरह,
लगता है गुलशन को भी
बदन से उतारा है तूने,
वो लबों की मुश्कान तेरी...
ख्वाबों मे भी दिल को चिर जाती है,
जाने क्यूँ... और कैसे...
मेरी मोहब्बत को, किया किनारा है तूने ।
वफा, एहतराम.. जो कुछ भी है,
तेरे - मेरे दरमियाँ.. इश्क़ में
सारा का सारा.. हमारा है,
ऐ साथी , साथ छोड़ जाना तेरा,
हर शाम गुजारती है मयखाना मेरा,
संभलना कहीं तुझे भी
कोई छोड़ ना जाए...
किया गलत इशारा है तूने ।
वादा किये आखिरी सास तक की
पर होते ही उड़ गए,
चलो जिंदगी का....
एक पल तो गुजारा है तूने..... ।।
✍️ Author Munna Prajapati
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Author Munna Prajapati Author :- "Meri Lekhani"
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