Home Meaning उत्तरी अमरीका का हिरन जैसा घास खाने वाला जंतु
Meaning of उत्तरी अमरीका का हिरन जैसा घास खाने वाला जंतु in English An American antelope (Antilocapra Americana), native of the plain near the Rocky Mountains. The upper parts are mostly yellowish brown; the under parts, the sides of the head and throat, and the buttocks, are white. The horny sheath of the horns is shed annually. Called also cabree, cabut, prongbuck, and pronghorned antelope. Meaning of उत्तरी अमरीका का हिरन जैसा घास खाने वाला जंतु in English English usage of उत्तरी अमरीका का हिरन जैसा घास खाने वाला जंतु Synonyms of ‘उत्तरी अमरीका का हिरन जैसा घास खाने वाला जंतु’ Antonyms of ‘उत्तरी अमरीका का हिरन जैसा घास खाने वाला जंतु’ Articles Related to ‘उत्तरी अमरीका का हिरन जैसा घास खाने वाला जंतु’ उफ़ बेचारा... रूहों का मेला... मुर्दों की आवाज़... राधे कृष्ण विशेष दिवस गेम ओवर... हर रातों को पूनम कह दूँ दूरियों का खूंटा शहर सैलानियों का स्वर्ग काश्मीर Nikhar rahe hai बिहार का गौरवशाली इतिहास भाग्य से कर्म तक क्या आप भी क्लियर करेंगे एग्जाम सरकारी नौकरी भारत में डाक टिकट सौगंध से अंजाम तक शतरंज की बिसात कितनी मासूम होती है बेटियां मन में जैसा घटेगा हमारा दिल #poetry शीर्षक : " एक पल तो गुजारा है तूने "
चलो उम्र ना सही,
मेरा एक लम्हा तो सवारा है तूने,
वादा किए आखिरी सास तक की,
पर होते ही उड़ गए...
चलो जिंदगी का,
एक पल तो गुजारा है तूने ।
तबाह कर गया मुझको,
लब्जों मे बया भी नही कर सकता,
किया कितना खसारा है तूने,
पतझड़ का मौसम हो गयी है जिंदगी,
मेरा छीना एक - एक सहारा है तूने ।
मेरी मुश्किलें... उम्र के साथ
बढ़ती जा रही है,
कैसे कह दूँ...
दर्दों से मुझको उबारा है तूने,
जो तुम चल दिये..
अपनी यादों को भी लेकर जाते,
खुद को बसाकर...
अपने दिल से मुझको, नकारा है तूने ।
ये हवाएँ... ये फिजायें...
खुशबु नही लाती... अब...
पहले की तरह,
लगता है गुलशन को भी
बदन से उतारा है तूने,
वो लबों की मुश्कान तेरी...
ख्वाबों मे भी दिल को चिर जाती है,
जाने क्यूँ... और कैसे...
मेरी मोहब्बत को, किया किनारा है तूने ।
वफा, एहतराम.. जो कुछ भी है,
तेरे - मेरे दरमियाँ.. इश्क़ में
सारा का सारा.. हमारा है,
ऐ साथी , साथ छोड़ जाना तेरा,
हर शाम गुजारती है मयखाना मेरा,
संभलना कहीं तुझे भी
कोई छोड़ ना जाए...
किया गलत इशारा है तूने ।
वादा किये आखिरी सास तक की
पर होते ही उड़ गए,
चलो जिंदगी का....
एक पल तो गुजारा है तूने..... ।।
✍️ Author Munna Prajapati
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मेरा प्यार ना मेरा है,
यहाँ झूटों का बसेरा है... २
अपना किसे तु, कहता है दिल,
ऐ दिल.... ऐ दिल....
मेरा प्यार ना मेरा है.....
क्या गजब का, खेला कोई,
कुछ नहीं है, अब रह गया ।
जो भी था ,अरमा हमारा,
नजरो से , वो बह गया.... ।
हुयी शाम मगर, कोई ना सबेरा है..
अपना किसे तु, कहता है दिल,
ऐ दिल..... ऐ दिल.....
मेरा प्यार ना मेरा है........
इक छोटा सा, तु है खिलौना,
खेलकर तुझसे, किसीने छोड़ा है ।
सांसों में बसकर, जान वो बनकर,
रूह तक मुझको, उसीने तोड़ा है ।
कैसे कोई समझे इसे, ये तो
हुश्न का घेरा है.......
अपना किसे तु, कहता है दिल,
ऐ दिल....... ऐ दिल......
मेरा प्यार ना मेरा है......
बीत गए वो, प्यार के सावन,
आँखों में अब, बरसात है ।
खामोशियाँ है, लब पे मेरे,
सुना सा है जीवन, सुनी सी रात है ।
ना भूल पायेगा कोई, ये एहसान जो तेरा है....
अपना किसे तु, कहता है दिल,
ऐ दिल.... ऐ दिल......
मेरा प्यार ना मेरा है......
~ मुन्ना प्रजापति
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नोट : यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें हैं परंतु हमारी अनुमति लेने के बाद, हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏 +९१७८९७८६८६२५ #poetry शिर्षक "गुजर रहा है अब मोहब्बत का जमाना "
अब गुजर रहा है वो जमाना,
अब किसी पर भी यकीन नही करेगा कोई....
झूठा साबित हो रहा है, अब तो प्रेम का पैमाना,
अब रिश्तों मे बगैर मुनाफे के,
कोई सीन नही करेगा कोई ।।
ये पीढ़ी आखिरी थी, दिल को दुखा लिया हमने,
अपने आखों के आँशु, आँखों मे ही सुखा लिया हमने,
अब तो लोग जिश्म से खेलेंगे और चलते बनेंगे...
जो जल रहा था चराग़, आशियाने मे,
अब तो उसे भी बुझा लिया हमने ।
गर जिंदा रहा तो देखूंगा, तुम्हारे बच्चों का कारनामा.. ...
यकीन मानो मर्द का,हर रात रंगीन करेगा कोई....
अब गुजर रहा है वो जमाना,
अब किसी पर भी यकीन नही करेगा कोई.. ।।
तुम देखना कुछ ही सालों मे,
कोई आये - जाए नही रह पायेगा मलालों मे,
हर रोज दूसरा होगा, निगाहों के इन खयालों मे,
तुम ढुंढोगे पुस्तक के पन्नों मे,
जबाब रहेगा पूछे गए शवालों मे ।
तुम डाटते रह जाओगे,
तुम सिखाते रह जाओगे..
कुछ असर नहीं करेगा तुम्हारा ताना ...
यकीन मानो तुम्हारे उसूलों का तौहीन करेगा कोई...
अब गुजर रहा है वो जमाना,
अब किसी पर भी यकीन नही करेगा कोई.. ।।
इश्क़ नही, जिश्म की चाहत पूरी की जायेगी,
नये जमाने के नाम पर, हर कहानी अधूरी की जायेगी,
अपनापन मिट जायेगा, रिश्तों की अहमियत मे दूरी की जायेगी,
ना चाहते हुए भी, कुछ अजीब
चरित्रों की मंजूरी दी जायेगी ।
खत्म होगा मोहब्बत करने और निभाने का अफसाना...
यकीन मानो उम्र से पहले मिलकर,
खुद को हसीन करेगा कोई....
अब तो गुजर रहा है वो जमाना,
अब किसी पर भी यकीन नहीं करेगा कोई.. ।।
✍️ Author Munna Prajapati
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#hindi #lyrics यहाँ तो तेरा ही खसारा है.....
प्रीत होती ना दोबारा है इस जीवन मे,
ऐ दिल यहाँ तो तेरा ही खसारा है...
मुनासिब है तू खुद को खुद मे मेहफूज़ कर...२
आशिकि मे कहते हैं ये तो आवारा है...
ऐ दिल यहाँ तो तेरा ही खसारा है.... ।
कोई तुझसे ही सीखेगा और
तुझे सिखाकर जायेगा...
तुम्हारी नजरों से कोई
तुझे ही दिखाकर जायेगा... ।
सिर्फ प्यार और वफा से यहाँ
होता किसका गुजारा है...
प्रीत होती ना दोबारा है इस जीवन मे
ऐ दिल यहाँ तो तेरा ही खसारा है... ।
ना कर सकोगे ऐतबार किसी पर,
जो एक बार टूट जायेगा...
संभालोगे कैसे तुम खुद को जब,
उल्फत का आशियाँ लूट जायेगा... ।
किसने किया है मुकम्मल इश्क़ यहाँ
मेहबूब तो एक वक़्त का सहारा है...
प्रीत होती ना दोबारा है इस जीवन मे
ऐ दिल यहाँ तो तेरा ही खसारा है... ।
राहे मोहब्बत खूबसूरत तो बहोत है लेकिन,
अक्सर किसी की जिंदगी छीन लेती है....
हुश्न है तो अदायें अमीरी चाहती है ,
निगाहों का जाम पिलाकर हर चीज किन लेती है.... ।
ये दिल कहीं एक जगह नही ठहरता
ये तो खानदानी बंजारा है...
प्रीत होती ना दोबारा है इस जीवन मे
ऐ दिल यहाँ तो तेरा ही खसारा है... ।
~ मुन्ना प्रजापति (उ. प्र.)
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धर्म का गीत #poetry "१५ अगस्त.... "
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया,
जिसने जाती और मजहब मे
लोगों को उलझा कर रखा है ।
उसने हमेशा बतलाया है के तुम बड़े हो,
तुम्हे बड़ा होना चाहिए और
सबसे आगे होना चाहिए,
तुम हिंदू हो तुम मुश्लिम हो
तुम सिख हो तुम ईसाई हो,
और आज मंच पर, कुछ लोगों के बीच
कह रहा था के हम भारत वासी एक हैं ।
जो अपने फायदे के लिए अपनी
शान के लिए, अपने पद के लिए
जाने कितनों को मौत के घाट उतार दिया होगा!
वह शख्श आज मंच पर, तिरंगे के सामने
इस देश को मजबूत बने रहने का
शिक्षा दे रहा था ।
जो हमेशा लोगों को कम शिक्षित
रखने का उपाय ढूंढता रहा, वह
आज मंच पर विद्यार्थियों के सामने
उच्च शिक्षा पाने की हौशला दे रहा था ।
कुछ शहीदों के बारें मे, उनका चरित्र
चित्रण कर रहा था, अल्पज्ञ लोगों को
समझा रहा था, आजादी कैसे हुयी
इसकी गाथा सबको सुना रहा था जिसने
अपने कर्मों का किताब कहीं
छुपा कर रखा है ।
बहोत बड़ी बड़ी बातें की उसने,
वह सब उसकी जुबानी थी, और
सच तो ये है की वह सब किसी की
लिखी हुयी कहानी थी ।
उसने ये नही कहा कि अस्पताल में,
मरीजों (गरीबों ) को क्यूँ रुलाते हो,
उचे पद पर बैठकर लूट पाट क्यूँ मचाते हो,
किसी मशले को हल करने मे
इतना वक़्त क्यूँ लगाते हो ।
वो लोग भी क्या अजीब थे
जो उसके चिकनी बातों के करीब थे,
तालियां बज रही थी, जय हिंद के
नारे भी लग रहे थे परंतु.....
हिंदुस्तान को जिताने का या फिर
जश्न ए जीत का भाव किसी के
दिल मे नहीं था ।
सब इसी मे डूब गए, के, कब, कैसे
और किसने आजादी दिलायी,
कितनी मुशक्कत् स्वतंत्रता सेनानियों ने
उठायी... बस इन्ही सब बातों पर
हम सबको फुसला कर रखा है ।
आज वह शख्स भी आजादी की
गाथाएँ गाते हुए नजर आया, जो
इस जमी का खाता है, इसी जमी पर
रहता है, हम लोगों के बीच जीता है मगर
भला सिर्फ अपना सोचता है,
मै भी चाहता हूँ,
आजादी की शुभकामनाएँ दूँ... पर
किसे दूँ.... किसे....... 😥
✍️ Author Munna Prajapati
#post #positivity #PostViral #poem #realtalk #reallife #public #truth #writer #life #virals लघुकथा। "माँ का आँचल" मेरे छूट जाने का एहसास #lyrics #ghazal कहीं खो गया मै....
ना रहा मेरा कोई खबर,
नहीं था झुकाना निगाह मगर,
मै तो सो गया...
शुरू होते ही खत्म हुआ,
जिंदगी का सफर,
कहीं मै ही खो गया.... .. हाँ...
चलता रहा देखकर उसकी तरफ,
अंजाना ना जाना ये मुझे मगर,
जाने क्या हो गया....
शुरू होते ही खत्म हुआ,
जिंदगी का सफर,
कहीं मै ही खो गया.... हाँ....
देखता रहा मै शौख हुश्न चमन,
हसीन है ऐसी राह मगर,
सब कुछ लूट गया...
शुरू होते ही खत्म हुआ,
जिंदगी का सफर,
कहीं मै ही खो गया..... हाँ...
किनारों से कब बीच में पहुँचा,
खिचता रहा अपनी ओर लहर,
मै तो जल तल का हो गया...
शुरू होते ही खत्म हुआ,
जिंदगी का सफर,
कहीं मै ही खो गया.... हाँ...
✍️ Author Munna Prajapati
#sadness #writer #PostViral #love #virals #songlyrics #song #heart #life
नोट : यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें हैं परंतु हमारी अनुमति लेकर, हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏 078978 68625
आधुनिक सोनेट का अनुपम किताब George Bernard Shaw का Arms and the Man , Novel का सारांश सरल शब्दों में आज़ादी का दिन फिर आया किताबें पढने के लिए वक़्त कहाँ है किसी के पास, पूरी दुनिया तो परदे पर दिखायी जाने वाली काल्पनिक चलचित्रों के पीछे दौड़ रही है और अपने आप को अंधकार में लेकर जा रही है । जो जो वास्तवीक ज्ञान पुस्तकों में है वो चलचित्रों मे नही । आप एक मिनट से कम समय की वीडियो देखतें हैं और प्रत्येक मिनट के बाद दूसरी वीडियो देखतें हैं इनके बीच आप अपने मस्तिस्क की स्थिरता को बड़ी तेजी से बदलतें है ।
लगातार एक प्रभाव, दूसरा प्रभाव फिर तुरंत तीसरा प्रभाव, ऐसे ही लगातार स्थिरता, अपनी सोच, उद्देश्य, लक्ष्य आदि को बदलतें हैं जिसके वजह से आप अपने जीवन मे किसी एक लक्ष्य पर स्थिर नहीं रह पाएंगे । स्वभाविक सी बात है इस तरह की क्रियाएँ आपकी स्थिरता को भंग करती है और आप खुद को रोक नही पाते । जब कोई चीज थोड़ी सी ज्यादा समय लेती है या फिर समझ में नही आती तो आप उसे तुरंत छोड़ देते हैं । परंतु आप उसे समझने या किसी एक ही विषय पर गहरा अध्ययन करने की कोशिश नही करते । इंसान की यह सबसे बड़ी दुर्बलता है । जिससे कि वह अपने लक्ष्य को पाने मे चुक जाता है ।
कोई भी बड़ी चीज क्षणिक सोचने से या क्षणिक अध्ययन से पूर्ण नही होती उसके लिए वक़्त चाहिए होता है । और यह तो हमारे मस्तिस्क से निकल चुका है । एक मिनट से अधिक हम किसी एक विषय पर तो सोच ही नही सकते ।
हम जब तक रिल्स देख रहे होते हैं हमारा मस्तिस्क उसके विषय में सोचता है, जो हम देख रहे होतें हैं । परंतु किताबें, जिसमे प्रत्येक शब्द लिखे हुए हैं, उसे आप बार-बार पढ़ सकते हैं । उसे सोच सकते हैं । उसके अनुसार आप अपने जीवन को सक्रिय कर सकते हैं । यह जो मोबाइल फोन का दौर है, यह हमे उस अंधकार के तरफ ले कर जा रहा है जहाँ चारो तरफ कोई भी चराग़ नही । पुस्तकें मनुष्य का मार्गदर्शक हैं । ऐसा नहीं की मै पुस्तकें लिख रहा हूँ तो ही ये सारी बातें कर रहा हूँ! यदि आप इस बात का विचार करना चाहे तो भी नही कर सकते । और नाही यहा तक पहुँच सकतें है जहाँ तक हमने यह कल्पना की है । हम आधुनिक दौर मे जरूर जा रहे हैं परंतु यह भी सत्य है की हम अपने आप को कहीं खो रहें है ।
चलिए जरा सा सोच कर देखिये –
यदि गूगल बंद हो जाय ! यदि इंटरनेट काम ना करे तो हमारा क्या अवस्था हो जायेगा ।
जब मोबाइल का डाटा (इंटरनेट) समाप्त होता है तो इसके बगैर हम इक दिन नही रह पाते, कैसे भी हमे रिचार्ज करवाना ही है । इसका अर्थ यह है की हम किसी के अधीन होते जा रहें हैं । हमारी मानसिकता , हमारे मस्तिस्क पर किसी और का अधिकार हो रहा है । हम मानसिक रूप से किसी और का गुलाम होते जा रहें हैं । आप अपनी आँखें खोलिए और देखिये । हम 1947 मे आजाद हुए थे सत्य है मगर अब फिर हम खुद को गुलामी की तरफ ले जा रहें हैं , आधुनिकता समझकर ।
✍️😰✅🤔 Author Munna Prajapati
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ईश्वर का विराट अथवा विश्व स्वरूप कैन्डिडा नाटक का संक्षेप में सारांश रुक्मिणी हरण का आध्यात्मिक पक्ष
प्राकृतिक आपदाओं का कारण और हम) बहोत खूबशुरत पुस्तक "आँखो कि गुशताखिया"... मे लीखने का श्रेय मिला l आप सभी का धन्यवाद 🙏✅💕#successquotes आम का पेड़ दंत पुंज का मधु मुस्कान प्लास्टिक पाउच का दूध एक धीमा जहर Browse Other Words By Clicking On Letters