Home Meaning सूक्ष्म कण-प्रवाह जो चुंबक आदि से निकलता है
Meaning of सूक्ष्म कण-प्रवाह जो चुंबक आदि से निकलता है in English Subtile or invisible emanation; exhalation perceived by the sense of smell; especially, noisome or noxious exhalation; as, the effluvium from diseased or putrefying bodies, or from ill drainage. Meaning of सूक्ष्म कण-प्रवाह जो चुंबक आदि से निकलता है in English English usage of सूक्ष्म कण-प्रवाह जो चुंबक आदि से निकलता है Synonyms of ‘सूक्ष्म कण-प्रवाह जो चुंबक आदि से निकलता है’ Antonyms of ‘सूक्ष्म कण-प्रवाह जो चुंबक आदि से निकलता है’ Articles Related to ‘सूक्ष्म कण-प्रवाह जो चुंबक आदि से निकलता है’ रूहों का मेला... उफ़ बेचारा... मुर्दों की आवाज़... आसान किस्तों पे लोन... कड़कती बिजलियां... मौत की दुआ... मिलन की घड़ी... विशेष दिवस गेम ओवर... कहां गई मां मुझे छोड़ कर? हर रातों को पूनम कह दूँ काली पहाड़ी की चुड़ैल... 🧑🍳 कुंदरु की चटनी 🫕 सखा जता दीजिये || गज़ल || इसरो का आदित्य हमारा दिल अनुभव आशिकी जीवन सीढ़ियाँ जंजीरें value the relations Power of Vote Ek Ladki Ki Kahani कैसा दौर माँ प्रेम एक संघर्ष महाशिवरात्रि कुछ ग़ज़ल सी कितनी मासूम होती है बेटियां Love shayari.. तुम लाख छुपाओ बात मगर Mother and father and daughter realtionship video किसी का दिल मत तोड़ना Writer Introduction - दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्” “जानती थी वो” वो सर्द रात- 5 मैं पुरखों के घर आया था ancestors' house no division "श्रीमदभागवत गीता पर स्व के भाव" {००} बिंदी बेफिक्री भाग्य से कर्म तक तुम्हारी जुल्फ़ों के साए से भी न जाने क्यों डर सा लग रहा है ""मां हूं मैं,"" '"' सुझाव किचन से 🫕 #659 Ekantik Vartalaap & Darshan/ 06-09-2024/ Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj वो एक गुलाबजामुन की कसक -42 वर्षों से #poetry शीर्षक : " एक पल तो गुजारा है तूने "
चलो उम्र ना सही,
मेरा एक लम्हा तो सवारा है तूने,
वादा किए आखिरी सास तक की,
पर होते ही उड़ गए...
चलो जिंदगी का,
एक पल तो गुजारा है तूने ।
तबाह कर गया मुझको,
लब्जों मे बया भी नही कर सकता,
किया कितना खसारा है तूने,
पतझड़ का मौसम हो गयी है जिंदगी,
मेरा छीना एक - एक सहारा है तूने ।
मेरी मुश्किलें... उम्र के साथ
बढ़ती जा रही है,
कैसे कह दूँ...
दर्दों से मुझको उबारा है तूने,
जो तुम चल दिये..
अपनी यादों को भी लेकर जाते,
खुद को बसाकर...
अपने दिल से मुझको, नकारा है तूने ।
ये हवाएँ... ये फिजायें...
खुशबु नही लाती... अब...
पहले की तरह,
लगता है गुलशन को भी
बदन से उतारा है तूने,
वो लबों की मुश्कान तेरी...
ख्वाबों मे भी दिल को चिर जाती है,
जाने क्यूँ... और कैसे...
मेरी मोहब्बत को, किया किनारा है तूने ।
वफा, एहतराम.. जो कुछ भी है,
तेरे - मेरे दरमियाँ.. इश्क़ में
सारा का सारा.. हमारा है,
ऐ साथी , साथ छोड़ जाना तेरा,
हर शाम गुजारती है मयखाना मेरा,
संभलना कहीं तुझे भी
कोई छोड़ ना जाए...
किया गलत इशारा है तूने ।
वादा किये आखिरी सास तक की
पर होते ही उड़ गए,
चलो जिंदगी का....
एक पल तो गुजारा है तूने..... ।।
✍️ Author Munna Prajapati
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