मां हूं मैं, परछाई है तू मेरी
खुशनसीब हूं मैं जो मुझे
चुनकर बेटी बनकर
आई गोदी में तू मेरी
खेलेगी,खायेगी जो
चाहें वो तू पायेगी
लड़का क्यों लड़की
ही बनकर तू बढ़ेगी
किसी कोने में बैठी
आंसू नहीं बहायेगी
किसी और की ग़लती का
बोझ तू क्यों उठायेगी
नही कभी नही कहूंगी
दुनिया से छिपाकर
तझको आंचल में रखूंगी
कोई नाजुक सी कली
नही मजबूत होकर
आगे बढ़ेती रहेगी तू
खायेगी मन का जो चाहेगी
वह पायेगी बेटी मेरी
अपने लक्ष्य को
भेदकर आगे चलेगी
अपनी सुरक्षा के घेरे
खुद सम्भालेगी तू
गीदड़ो के इस भीड़ में
शेरनी सी छाप लेकर
हिम्मत के साथ चलेगी
नही किसी के साथ की
आस करेगी ,खुद अपने
अस्तित्व की पहचान बनेगी
लड़की है लड़की ही
बनकर पलेगी तू
मां हूं मैं खड़ी सदा तेरे साथ
जब तक हूं मैं पायेगी
मुझे हमेशा अपने पास
अपने को पहचान
अपने ही साथ चला करेगी
तू है तू , तेरा है जीवन
जिएगी तू खुद के साथ ।
कोई बंधन नही
कोई रोड़ा नहीं
उड़ जा तू वक्त के साथ