सुन रंजू सुन
ध्यान से सुन
मेरी एक बात
ध्यान से सुन
जैसे मानी
माता पिता की
।। बातें तूने।।
मैं हूं समय तेरा
मेरी भी तू कुछ
बातें ध्यान से सुन।
तूझे मैं एक सुझाव
देता हूं तेरे जीवन
का रहस्य बताता हूं।
उम्र अभी छोटी है तेरी
अनुभव में तू
खोटी है थोड़ी
कर ले पूरे काम जो तूने
उठा रखें हैं कंधों पर
बंधन टूटेंगे जो तूने
जोड़ें नए अनुबंध अभी
सुन रही थी समय को
और उसके जरुरी बातों को।
कहता रहा समझाता रहा
होगी जब उम्र चालीस पार तेरी
तू हो जायेगी सयानी बड़ी।
तब हो जायेंगे तेरे काम सभी
हो जायेगी तू भी खाली तभी
दूंगा तब मैं तेरा साथ
करेंगे हम हर काम भी एकसाथ
सोच पायेगी कर पायेगी
जो है कल्पना के उड़ान में
चल पड़ेगी एक राह नई पर
होगी पूछ परख पहचान बढ़ेगी
मैंने मानी समय की हर बात
हो गई हूं अब मैं चालीस पार
जो करना है आगे बढ़ना है
नही रुके मुझे अब रहना है।