ऐ जिंदगी तुझे मैं भूला नहीं पाऊंगा, मरने के बाद दोबारा ला नहीं पाऊंगा जीना तो सभी चाहते थे पर मैं एक अकेला था जो जीते जी जीना नहीं चाहता था इसके पीछे भी एक बझा हे जो मैं आपको बताऊंगा फ़िलहाल अभी शुरू करता हे की मैं जी केसे रहा था मैं बो एक जिंदगी जी रहा था जिसकी मुझे कोई उम्मीद कि गुंजाईस नहीं थी मेरी एक गलती और जिंदगी बरबाद हो जानी थी इस पे अब एक शायरी भी सुनाता हूँ (:- ये जिंदगी भी क्या क्या रंग दिखाती है कभी हस्ती हे तो कभी रुलाती हे (=2) राजा को भिखारी ओर भिखारी को राजा बनाति हे ये जिंदगी भी क्या - क्या रंग दिखती है ! मैं एक ऐसा लड़का था जिसके सपने बहुत बड़े थे असमान को छूने की उम्मीद में उनको उजागर भी करना था मैं एक डॉक्टर बनना चाहता था पर झर के हालात देखते हुए मुझे अपने सपने अधूरे दिख रहे थे पर मेने हिम्मत ना हारते हुए आगे कदम बढ़ाने शुरू कर दिए अब एक तरफ मेरे सपने ओर दुरी तरफ मेरी गरीबी मंजिल पाने के लिए मैं जिंदगी के सफर पर निकल पड़ा मंजिल कोई नहीं थी एक उम्मीद पर मैं आगे चला दिन में एक होटल पर काम करने लगा ओर रात को पढ़ने लगा कहते हैं ना कुछ हासिल करना हे तो कुछ ऐसा करो दुनिया आपको याद करे कहते हैं :- रास्ते पर कांकड़ ही कांकड़ हो तो एक अच्छा जूता पहन कर चल सकता है और एक जूते में एक कंकड़ चला जाए तो सड़क पर एक भी कदम नगे पाब नहीं चल सकते अर्थ:- हम भारी परस्थितीयो से घबराते हे अंदर की चन्नोत्यो से नहीं डरते ! ईसी परकर म आगे चला मेरी सोच येसी थी कि दूसरो के दुखो को अपना समझ आता था दूसरो की ख़ुशी मैं अपनी खुशी धूड़ता था या उनके दुखो मैं खुद सामिल हो जाता था साथ में अपने परिवार को भी खुश या हसाता रहता था उनके साथ पेसा कामने में भी हाथ बटाता ओरे घर के कमो में भी ईस के साथ-साथ मेने कॉलेज मैने भी दखला ले लिय डॉक्टर बनने के लिए तो पेसा नहीं था लेकिन मेने फार्मासिस्ट पदाई सुरू कर दी इसके बीच में मेरी जिंदगी में एक नया मोड़ आ गया जिसका नाम था प्यार जेसे उसको पहेली बार देखा तो लगा ये मेरे लिए या मैं इस के लिए बना हूं अब मैं उसको अपनी सारी दास्ता सुनाने लगा बो इस लिए कि कल को बो मेरा साथ छोड़ ना दे पर बो भी मेरे से पहले से ही प्यार करती थी तो उसको मेरा सब कुछ पता था एस्के बाद मेरे कॉलेज के लोग सभी दोस्तो ने कहा भाई कुछ ऐसा करो आपको हम जिंदगी भर याद रखेंगे मुझे लिखने का शौक था मेने भाहा पर एक किताब लिखी जिसका नाम नई सोच था उश किताब बहुत साड़ी अच्छी पंगती थी जो सबको अच्छी लगी साथ ही मेने शायरी कोर कबिता भी लिखी हुई थी जो सबको बहुत अच्छी लगी जेसे - जेसे बक्त गुजरात गया मैं कबिता और कहनी लिखता गया पर मेरे को उससे एक अच्छा नजरिया मिला उशके बाद में पेशा भी कमाने लगा या मेरे को छोटी सी नोकरी भी मेल चुकी थी अब मेरी अर्थिक स्थिति भी काफी अच्छी हो चुकी थी मैने सोचा कि सब अच्छा हो राहा है क्यू ना कुछ और बुरा करे कहते हैं ना जिंदगी किस किस जहाघा ला के खड़ा कर देती हे किसी को पता नहीं अब मेरे साथ भी कुछ ऐसा होने बाला था जिसकी मैने ना कोई गन्ना की थी अर ना कोई अनुमान था मैं एक ऐसे दोर से गुज़रने बामला था झा एक थरफ मौत और दूसरी बरबदही होन बाली थी ऐसा क्या होने बाला था ये एपी सोच भी नहीं शक्ते अब आप सोच रहे हैं की इसका प्यार चला जायेगा नहीं ये एतना सच नहीं था जितना की कुछ और था अब ये और क्या था ये मेरे को भी पता नहीं था आब ईस और को जनाने से पहले मैं आपको इक सायरी सुनाना चाहता हूँ (:- पहेले प्यार की यादो की दास्तां हम सुनते हैं = 2 ' भूल तो नहीं पाये हम आपको पर आपकी यादो मै गीत हाम आपके गाते है= 2 )मेरी जिंदगी में क्या होना था य अगले भाग में बताऊंगा अभी मैं बो बताना चाहता था हम कि क्यू होने बाला था तों क्यू के दो पहेलु हे क्यू और केसे क्यू होने बाला था पहले ये बताता हूं मैंने आपको बताया था कि एक किताब लिखी थी जिस में मेरी कहानी और कबिता थी अब सभी के साथ अच्छा करोगे तो सभी अच्छे थोड़े होंगे ईश मैं कुछ ऐसे भी लोग सामिल होगे जिंको बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा और ऐसे बहुत सारे थे जिनको अच्छा नहीं लगा था मैं और बो कोई औए हुए या बुलाये हुए आदमी नहीं था बो सब के सब अपने थे मैं और मेरे से प्यार करने बाली हम भी दोनों को आपस में झगड़ा क्रबा दिया अब मेरी किताब सार्वजनिक होने वाली थी पर उस किताब को कमरे से चुरा के किताब का एक एक पेज निकल के जंगल में गिरा दिया था जिसके बिना मैं अधूरा था और मेरे घर में भी हंगामा खड़ा कर दिया था ताकी ना मुझे उम्र जा साकु या ना कुछ कर सकु मुझे उस किताब तक 10 दिनों तक ले जाना है मगर मेरे पास तो बो किताब हे ही नहीं एक दम मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूं धीरे धीरे दिन निकलते गए और मेरी समस्या परेशानी भी उतनी जादा बढ़ती गई जब 10 दिन पूरे जो गए तो भा से मेरी किताब को सार्वजनिक करने के लिए मन कर दिया अब मेरे पास कोई रास्ता नहीं था उतने में घर से कोल आया की मेरी माँ का एक्सीडेंट हुआ हे और जल से जल्दी घर आयो अब मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा एक तरफ़ मेरी किताब या दूरश्री और घर में मेरी माँ मैंने बिना सोचे समझे अपना रुख घर की और मोड़ लिया अब घर में जाकर मैं क्या देखता हूं जिंदगी मेरे को एक और नया तोहफा देना चाहती थी अब ये नया तोफा क्या था अगले चेप्टर में बताऊंगा