Meaning of इमारत का बंद in English
- In classical architecture, a vertically faced member immediately below the circular base of a column; also, the lowest member of a pedestal; hence, in general, the lowest member of a base; a sub-base; a block upon which the moldings of an architrave or trim are stopped at the bottom. See Illust. of Column.
Meaning of इमारत का बंद in English
English usage of इमारत का बंद
Synonyms of ‘इमारत का बंद’
Antonyms of ‘इमारत का बंद’
Articles Related to ‘इमारत का बंद’
- उफ़ बेचारा...
- रूहों का मेला...
- मुर्दों की आवाज़...
- राधे कृष्ण
- विशेष दिवस
- हर रातों को पूनम कह दूँ
- गेम ओवर...
- घड़ी की सुइयां
- भाग्य से कर्म तक
- "भाषाई विविधता का संरक्षण: अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का महत्व"
- दीपावली की लोककथा
- कुछ ग़ज़ल सी
- जीवन
- सरकारी नौकरी
- ओ मोहन मुरली वाले ओ राधा के श्याम
- भूखे लकड़बग्घे- 2
- Nikhar rahe hai
- #अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस---
- #poetry शीर्षक : " एक पल तो गुजारा है तूने "
चलो उम्र ना सही,
मेरा एक लम्हा तो सवारा है तूने,
वादा किए आखिरी सास तक की,
पर होते ही उड़ गए...
चलो जिंदगी का,
एक पल तो गुजारा है तूने ।
तबाह कर गया मुझको,
लब्जों मे बया भी नही कर सकता,
किया कितना खसारा है तूने,
पतझड़ का मौसम हो गयी है जिंदगी,
मेरा छीना एक - एक सहारा है तूने ।
मेरी मुश्किलें... उम्र के साथ
बढ़ती जा रही है,
कैसे कह दूँ...
दर्दों से मुझको उबारा है तूने,
जो तुम चल दिये..
अपनी यादों को भी लेकर जाते,
खुद को बसाकर...
अपने दिल से मुझको, नकारा है तूने ।
ये हवाएँ... ये फिजायें...
खुशबु नही लाती... अब...
पहले की तरह,
लगता है गुलशन को भी
बदन से उतारा है तूने,
वो लबों की मुश्कान तेरी...
ख्वाबों मे भी दिल को चिर जाती है,
जाने क्यूँ... और कैसे...
मेरी मोहब्बत को, किया किनारा है तूने ।
वफा, एहतराम.. जो कुछ भी है,
तेरे - मेरे दरमियाँ.. इश्क़ में
सारा का सारा.. हमारा है,
ऐ साथी , साथ छोड़ जाना तेरा,
हर शाम गुजारती है मयखाना मेरा,
संभलना कहीं तुझे भी
कोई छोड़ ना जाए...
किया गलत इशारा है तूने ।
वादा किये आखिरी सास तक की
पर होते ही उड़ गए,
चलो जिंदगी का....
एक पल तो गुजारा है तूने..... ।।
✍️ Author Munna Prajapati
#post #virals #love #sadness #new #sad #sadlife
- Writer Introduction - दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”
- अनुभव
- truth ( Ridveda 1. 1. 8 )
- इसरो का आदित्य
- साजिश ए इश्क।
- दोहे- दर्शन
- वो सर्द रात- 4
- प्रभु स्मरण
- मन में जैसा घटेगा
- मिज़ाज़
- Futuristic
- लॉकडाउन में पड़ोसन टीचर को चोदा- 1
- जीवन की दिशा
- किस्मत
- Power of Vote
- छोर
- रात अमावस की काली
- सौगंध से अंजाम तक
- वो सर्द रात- 3
- दैनिक न्यूज
- कितनी मासूम होती है बेटियां
- हमारा दिल
- भारत में डाक टिकट
- never trouble a poor
- बेफिक्री
- इश्क़, बेरोज़गारी और जज़्बात
- Rama is superior of all
- शातिर दुनिया
- रेलयात्रा
- Biggest democracy
- आलस्य हमारे शरीर में विराजमान एक महा शत्रु है
- लौह पुरुष
- #कर्म और भाग्य --
- धूप की उम्मीद कुछ कम सी है
- चांद और तारे
- दिल
- वो 5 साल की बच्ची का बाल सुलभ दुस्साहस
- "आलिंगन परिवर्तन: व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास की कुंजी"
- कविता
- अभ्यास और रटने का सटिक मंत्र
- #डिजिटलीकरण---
- शतरंज की बिसात
- आम राजा
- क्षितिज क्षितिज ही रहेगा
- गुरु
- नवीन धाराओं का सृजन
- आजमाईश
- प्रात काल का सौंदर्य
- वक्त का बदलना
- क्या आप भी क्लियर करेंगे एग्जाम
- जरा संभल कर
- शहर
- यही सच है
- दूरियों का खूंटा
- रंगभूमि
- ग़ज़ल
- त्रासदी
- चले आओ
- किसी का दिल मत तोड़ना
- सैलानियों का स्वर्ग काश्मीर
- बिहार का गौरवशाली इतिहास
- मेरे छूट जाने का एहसास
- #lyrics #ghazal कहीं खो गया मै....
ना रहा मेरा कोई खबर,
नहीं था झुकाना निगाह मगर,
मै तो सो गया...
शुरू होते ही खत्म हुआ,
जिंदगी का सफर,
कहीं मै ही खो गया.... .. हाँ...
चलता रहा देखकर उसकी तरफ,
अंजाना ना जाना ये मुझे मगर,
जाने क्या हो गया....
शुरू होते ही खत्म हुआ,
जिंदगी का सफर,
कहीं मै ही खो गया.... हाँ....
देखता रहा मै शौख हुश्न चमन,
हसीन है ऐसी राह मगर,
सब कुछ लूट गया...
शुरू होते ही खत्म हुआ,
जिंदगी का सफर,
कहीं मै ही खो गया..... हाँ...
किनारों से कब बीच में पहुँचा,
खिचता रहा अपनी ओर लहर,
मै तो जल तल का हो गया...
शुरू होते ही खत्म हुआ,
जिंदगी का सफर,
कहीं मै ही खो गया.... हाँ...
✍️ Author Munna Prajapati
#sadness #writer #PostViral #love #virals #songlyrics #song #heart #life
नोट : यदि आप इस गीत को व्यापारिक तौर पर रिकॉर्ड करके रिलीज करना चाहते हैं तो कर सकतें हैं परंतु हमारी अनुमति लेकर, हमारी अनुमति अनिवार्य है । धन्यवाद🙏 078978 68625
- आधुनिक सोनेट का अनुपम किताब
- आज़ादी का दिन फिर आया
- आम का पेड़
- किताबें पढने के लिए वक़्त कहाँ है किसी के पास, पूरी दुनिया तो परदे पर दिखायी जाने वाली काल्पनिक चलचित्रों के पीछे दौड़ रही है और अपने आप को अंधकार में लेकर जा रही है । जो जो वास्तवीक ज्ञान पुस्तकों में है वो चलचित्रों मे नही । आप एक मिनट से कम समय की वीडियो देखतें हैं और प्रत्येक मिनट के बाद दूसरी वीडियो देखतें हैं इनके बीच आप अपने मस्तिस्क की स्थिरता को बड़ी तेजी से बदलतें है ।
लगातार एक प्रभाव, दूसरा प्रभाव फिर तुरंत तीसरा प्रभाव, ऐसे ही लगातार स्थिरता, अपनी सोच, उद्देश्य, लक्ष्य आदि को बदलतें हैं जिसके वजह से आप अपने जीवन मे किसी एक लक्ष्य पर स्थिर नहीं रह पाएंगे । स्वभाविक सी बात है इस तरह की क्रियाएँ आपकी स्थिरता को भंग करती है और आप खुद को रोक नही पाते । जब कोई चीज थोड़ी सी ज्यादा समय लेती है या फिर समझ में नही आती तो आप उसे तुरंत छोड़ देते हैं । परंतु आप उसे समझने या किसी एक ही विषय पर गहरा अध्ययन करने की कोशिश नही करते । इंसान की यह सबसे बड़ी दुर्बलता है । जिससे कि वह अपने लक्ष्य को पाने मे चुक जाता है ।
कोई भी बड़ी चीज क्षणिक सोचने से या क्षणिक अध्ययन से पूर्ण नही होती उसके लिए वक़्त चाहिए होता है । और यह तो हमारे मस्तिस्क से निकल चुका है । एक मिनट से अधिक हम किसी एक विषय पर तो सोच ही नही सकते ।
हम जब तक रिल्स देख रहे होते हैं हमारा मस्तिस्क उसके विषय में सोचता है, जो हम देख रहे होतें हैं । परंतु किताबें, जिसमे प्रत्येक शब्द लिखे हुए हैं, उसे आप बार-बार पढ़ सकते हैं । उसे सोच सकते हैं । उसके अनुसार आप अपने जीवन को सक्रिय कर सकते हैं । यह जो मोबाइल फोन का दौर है, यह हमे उस अंधकार के तरफ ले कर जा रहा है जहाँ चारो तरफ कोई भी चराग़ नही । पुस्तकें मनुष्य का मार्गदर्शक हैं । ऐसा नहीं की मै पुस्तकें लिख रहा हूँ तो ही ये सारी बातें कर रहा हूँ! यदि आप इस बात का विचार करना चाहे तो भी नही कर सकते । और नाही यहा तक पहुँच सकतें है जहाँ तक हमने यह कल्पना की है । हम आधुनिक दौर मे जरूर जा रहे हैं परंतु यह भी सत्य है की हम अपने आप को कहीं खो रहें है ।
चलिए जरा सा सोच कर देखिये –
यदि गूगल बंद हो जाय ! यदि इंटरनेट काम ना करे तो हमारा क्या अवस्था हो जायेगा ।
जब मोबाइल का डाटा (इंटरनेट) समाप्त होता है तो इसके बगैर हम इक दिन नही रह पाते, कैसे भी हमे रिचार्ज करवाना ही है । इसका अर्थ यह है की हम किसी के अधीन होते जा रहें हैं । हमारी मानसिकता , हमारे मस्तिस्क पर किसी और का अधिकार हो रहा है । हम मानसिक रूप से किसी और का गुलाम होते जा रहें हैं । आप अपनी आँखें खोलिए और देखिये । हम 1947 मे आजाद हुए थे सत्य है मगर अब फिर हम खुद को गुलामी की तरफ ले जा रहें हैं , आधुनिकता समझकर ।
✍️😰✅🤔 Author Munna Prajapati
#PostViral #healthy #Risky #life #lifestyle #bad #harmful #mobiles #network
#virals
- ईश्वर का विराट अथवा विश्व स्वरूप
- प्राकृतिक आपदाओं का कारण और हम)
- रुक्मिणी हरण का आध्यात्मिक पक्ष
- बहोत खूबशुरत पुस्तक "आँखो कि गुशताखिया"... मे लीखने का श्रेय मिला l आप सभी का धन्यवाद 🙏✅💕#successquotes
- प्लास्टिक पाउच का दूध एक धीमा जहर
- मुझे याद है सभी किस्से वो इश्क़ का ज़माना
- "सपनो का मंदिर"
- दंत पुंज का मधु मुस्कान
- भैंस की मौत* 👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह👌
- श्राद्ध पक्ष में पाँच ग्रास निकालने का महत्त्व
- अपने किसी पद का तू
- आज जाकर सफल हुआ पुस्तक : The professional Love (पेशेवर इश्क़) का प्रकाशन कार्य l श्रेय प्राप्त हुआ l आप सभी का दिल से धन्यवाद🙏🙏 #author
- हिन्दी साहित्य के इतिहास में उपन्यासकार, कहानीकार मुंशी प्रेमचंद का योगदान
- "सपनो का मंदिर"
Browse Other Words By Clicking On Letters