रूह बनकर उतरती है, रख लेता हूँ,
आसमान से बरसती है, रख लेता हूँ,
मुझ खाकसार को, क्या कायदा, क्या अदब,
ये तो राम की रहमत है, लिख लेता हूँ।
(C) @दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम्"
8 October 2023
रूह बनकर उतरती है, रख लेता हूँ,
आसमान से बरसती है, रख लेता हूँ,
मुझ खाकसार को, क्या कायदा, क्या अदब,
ये तो राम की रहमत है, लिख लेता हूँ।
(C) @दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम्"