जरासन्ध के पुत्रों ने
देश को गाली बना दिया,
सम्पन्न था सब संसाधन से
खाने की थाली बना दिया।
ये कंस कुलों के कुल-घातक
कृष्णा को चोर बताते हैं,
पर बैठे हैं जिस शाख पे ये
उसको ही तोड़ चबाते हैं।
जयचंद, मीर कासिम भी हैं
उदाहरण इतिहास के पन्नों पर,
ऐसों को इन दोगलों ने,
अपना आदर्श है बना लिया।
जब निरपेक्ष किसी भी धर्म से हो
तो क्यों न सबका सम्मान करो,
किसी धर्म को गाली क्यों दो
चाहे जिसका गुणगान करो।
मान-प्रतिष्ठा अपने घर की
जाकर परदेश लुटाता तू,
तुझमें भी लहू देश का है
क्यों आगे बढ़कर न दिखलाता तू।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”