कैसे हम बोल दें, वो लाख चेहरों में हैं,
दीप हमने जलाये अंधेरों में हैं,
दीप तो जल गए , उनको दिखते नहीं,
ज्यों कड़ी धूप हो, वो दोपहरों में हैं।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
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20 October 2023
कैसे हम बोल दें, वो लाख चेहरों में हैं,
दीप हमने जलाये अंधेरों में हैं,
दीप तो जल गए , उनको दिखते नहीं,
ज्यों कड़ी धूप हो, वो दोपहरों में हैं।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
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